माउंट आबू :राजस्थान का स्‍वर्ग

By Shobhna Jain | Posted on 20th Jul 2015 | पर्यटन
altimg
नई दिल्ली 1 अगस्त (वीएनआई) माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है. दक्षिणी राजस्थान के सिरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटा और अरावली की पहाड़ियों पर ्बसे हुए इस ‘हिल स्टेशन’ की सुंदरता देखते ही बनती है. समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू को राजस्थान का स्‍वर्ग भी माना जाता है। ‘माउंट आबू’ ऐसा ही एक अनुपम दर्शनीय स्थल है जो कि न केवल ‘डेजर्ट-स्टेट’ कहे जाने वाले राजस्थान का इकलौता ‘हिल स्टेशन’ है, बल्कि गुजरात के लिए भी ‘हिल स्टेशन’ की कमी को पूरा करने वाला ”सांझा पर्वतीय स्थल” है जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। माउंट आबू कभी राजस्थान की जबरदस्त गर्मी से परेशान पूर्व राजघरानों के सदस्यों का ‘समर-रिसोर्ट’ यानि गर्मियों का स्वास्थ्यवर्धक पर्वतीय स्थल हुआ करता था। बाद मे यह ”हिल ऑफ विजडम” भी कहा जाने लगा क्योंकि इससे जुड़ी कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं ने इसे एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विख्यात कर दिया। यूं तो यहां पूरे वर्ष ही मौसम सुहावना रहताफै पर जाने के लिये पर सितम्बर मध्य से भी बेहद अनुकूल है माउंट आबू से बहुत-सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महान ऋषि वशिष्ठ रहा करते थे। इसे ऋषियों-मुनियों का आवास स्थल माना जाता है। माउंट आबू हिल स्टेशन होने के साथ-साथ हिंदू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल भी है. यहां के मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को बेहद भाते हैं. माउंट आबू की प्राकृतिक सुंदरता किसी को भी तरोताजा कर ही देती है. माउंट आबू के दर्शनीय स्थल हैं - दिलवाड़ा जैन मंदिर- दिलवाड़ा जैन मंदिर पांच मंदिरों का एक समूह है और सभी पाँच मंदिर एक दूसरे से भिन्न हैं, दिलवारा के जैन मंदिर माउंट आबू से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। सफेद संगमरमर से निर्मित खूबसूरती और नक्काशी के बेमिसाल नमूने ये मंदिर स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. ये शानदार मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित हैं, यहां एक ही जगह कई तीर्थंकरों के दर्शन होते हैं और उनके जीवन से जुड़ी बाते जानने को मिलती है। माउंट आबू की सैर इन शानदार मंदिर को देखे बिना अधूरी है. यहां वर्ष भर जैन धर्मावलंबियों के अलावा अन्य धर्मालुओं का आना-जाना लगा रहता है। ये पाँच मंदिर हैं ः विमल वसाही मंदिर (विमल वसाही यहां का सबसे पुराना मंदिर है, जिसे प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित किया गया है। विमल शाह, गुजरात के सोलंकी शासकों के मंत्री थे, जिन्‍होंने वर्ष 1031 ए. डी. में इसका निर्माण कराया था) , लुना वसाही मंदिर( यह मंदिर २२ वें जैन तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ्का है , पीथालहर मंदिर ( यह मंदिर प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव या आदिनाथ भगवान को समर्पित है), खरतार वसाही मंदिर (जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित इस तीन मंज़िले और दिलवारा मे सबसे ऊंचे मंदिर को सन 1458-59 मे मंडलिक और उनके परिवार ने बनाया था )और श्री महावीर स्वामी मंदिर ( जैन धर्म के २४वें और अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी को समर्पित यह मंदिर सन 1582 मे बनाया गया था) अधर देवी का मंदिरः - शहर से लगभग 3 किलोमीटर उत्तर में विशाल चट्टान को काट कर बनाया गया है । करीबन 365 सीढ़ियां चढ़कर जाने के बाद आपको मंदिर के सबसे छोटे निचले द्वार से जाने के लिए झुक कर गुजरना पड़ता है। यह पर्यटकों का प्रिय स्थल है। रघुनाथ मंदिर - नक्की झील के पास रघुनाथ जी का मंदिर है। इसमें रघुनाथ जी की खूबसूरत प्रतिमा है। यह 14वीं शताब्दी में हिंदुओं के जाने-माने प्रचारक श्री रामानंद द्वारा प्रतिष्ठित की गई थी। अचलगढ़ किला और मंदिर - अचलगढ़ किला मेवाड़ के राजा राणा कुंभ ने एक पहाड़ी के ऊपर बनवाया था. किले के पास ही अचलेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है. कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के पैरों के निशान हैं. गुरु शिखर- गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है. इस श्रृंखला की सुंदरता देखते ही बनती है. श्रृंखला पर बना मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है. मंदिर में जाकर आपको जो शांति मिलेगी उसे शायद ही आप कभी भूल पाएं.शहर से 15 किलोमीटर दूर राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन की यह सबसे ऊंची चोटी है। गुरु शिखर समुद्र स्तर से लगभग 1722 मीटर ऊपर बसा हुआ है। इस चोटी पर चढ़ने का और वहां से नजारे देखने का अपना ही लुत्फ है। गौमुख मंदिर - यहां के गौमुख मंदिर तक पहुंचने के लिए घाटी में 750 सीढ़ियां चढ़नी नहीं बल्कि नीचे उतरनी पड़ती हैं। माउंट आबू के नीचे आबू रोड की तरफ संगमरमर की गाय के मुंह से एक छोटी नदी बाहर आती है कहा जाता है कि ऋषि वशिष्ठ ने धरती को राक्षसों से बचाने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था और उस यज्ञ के हवन-कुंड में से चार अग्निकुल राजपूत उत्पन्न किए थे। इस यज्ञ का आयोजन आबू के नीचे एक प्राकृतिक झरने के पास किया गया था, यह झरना गाय के सिर के आकार की एक चट्टान से निकल रहा था, इसलिए इस स्थान को गोमुख कहा जाता है। वहां शिव के वाहन नंदी बैल की संगमरमर की एक प्रतिमा भी है।वशिष्ठ की मूर्ति के एक तरफ राम, तो दूसरी तरफ कृष्ण की प्रतिमा है। ब्रह्म कुमारी शांति पार्क - यह उद्यान बहुत ही शांत और खूबसूरत है। इसके प्राकृतिक वातावरण में शांति और मनोरंजन दोनों का एक साथ आनंद लिया जा सकता है। शांति पार्क अरावली पर्वत की 2 विख्यात चोटियों के बीच बना हुआ है। यह पार्क माउंट आबू में ब्रह्म कुमारी मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल है। नक्की झील- कहा जाता है कि एक हिंदू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर ये झील बनाई थी, जिसके बाद इस झील का नाम नक्की पड़ गया. नक्की झील से पहाड़ियों का बेहद सुंदर नजारा देखा जा सकता है. पिकनिक मनाने के लिए नक्की झील एकदम सही जगह है. यहां पर बोटिंग करने का मजा भी आप उठा सकते हैं सनसेट प्वाइंट - नक्की झील से कुछ ही दूरी पर बहुत लोकप्रिय सनसेट प्वांइट है. सनसेट प्वांइट से डूबते हुए सूरज का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है. दूर-दूर से पर्यटक इस नजारे को देखने के लिए आते हैं. यहां सूर्यास्त के दृश्य को देखने के लिए हर शाम भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। चाहें तो आप यहां घोड़े से भी जा सकते हैं। यहां के रेस्तरां और होटलों में लोगों की भीड़ रहती है। माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य -ये अभ्यारण्य मांउट आबू का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है. 288 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य में कई प्रकार के पक्षी देखने को मिलेंगे. पक्षियों के अलावा यहां कई जानवर भी देखे जा सकते हैं. इसलिए जानवरों को देखने में रुचि रखने वाले यहां जरूर जाएं. यहां पर आपको तेंदुए, वाइल्ड बोर, सांभर, चिंकारा और लंगूर देखने को मिलेंगे बागबगीचे व पार्क - इस पहाड़ी स्थल में जगह-जगह खूबसूरत बाग-बगीचे बनाए गए हैं। इनमें अशोक वाटिका, गांधी पार्क, म्युनिसिपल पार्क, शैतान सिंह पार्क और टैरस गार्डन प्रमुख माने जाते हैं। म्यूज़ियम और आर्ट गैलरी - इस संग्रहालय (म्यूज़ियम)की आकर्षक वस्तुओं में छठी शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक की देवदासियों और नर्तकियों की नक्काशी की हुई श्रेष्ठ मूर्तियां हैं। यह संग्रहालय दो भागों में बंटा हुआ है। पहले भाग में स्थानीय आदिवासियों की झोपड़ी का चित्रण है। इसमें उनकी सामान्य जीवन शैली दर्शाई गई है। उनके हथियार, वाद्ययंत्र, महिलाओं के जेवर, कान के झुमके और परिधान वगैरह यहां रखे गए हैं। दूसरे भाग में नक्काशी की कुछ वस्तुएं रखी गई हैं। और राग-रागनियों पर आधारित कई लघु चित्र, सिरोही की कई जैन मूर्तियां, मध्यम आकार की ढालें रखी गई हैं। कैसे पहुंचें - जयपुर से लगभग 500 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 760 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हिल स्टेशन लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां जाने के लिये वायु, रेल या सड़क मार्ग अपनाया जा सकता है वायु मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर, जो माउंट आबू से 185 किलोमीटर की दूर पर है.यहां से पर्यटक सड़क मार्ग से माउंट आबू तक जा सकते हैं। रेल मार्ग- नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है, जो माउंट आबू से 28 किलोमीटर की दूरी पर है. पश्चिम और उत्तर रेलवे की लंबी दूरीवाली महत्वपूर्ण गाड़ियां यहां अवश्य ठहरती हैं। यह अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है। सड़क मार्ग- माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. यह नेशनल हाइवे नंबर 8 और 14 के नजदीक है। एक छोटी सड़क इस शहर को नेशनल हाइवे नंबर 8 से जोड़ती है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं। अच्छी सड़कें होने के कारण टैक्सी से भी जा सकते हैं। हालांकि यहां 5 सितारा होटल की सुविधा वाले होटल नहीं है, लेकिन 2-4 सितारोंवाले होटल अच्छे हैं। इसके अलावा गेस्ट हाउस में भी ठहरा जा सकता है

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

अज्ञात
Posted on 3rd Jan 2016
उत्सव
Posted on 25th Aug 2016
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india