भारत ने चौथी बार जीता अंडर-19 विश्व कप

By Shobhna Jain | Posted on 3rd Feb 2018 | खेल
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टौरांग, 3 फरवरी (वीएनआई)| अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में भारत ने सलामी बल्लेबाज मंजोत कालरा की शतकीय पारी की बदौलत यहां बे ओवल मैदान पर आस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर चौथी बार खिताब अपने नाम किया। 

आस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 217 रनों के लक्ष्य को भारत ने मंजोत कालरा के नाबाद 101 रनों की बदौलत 38.5 ओवरों में आठ विकेट रहते ही हासिल कर लिया। कालरा के अलावा भारत के लिए शुभमन गिल ने 31 और विकेटकीपर हार्विक देसाई ने 47 रन बनाए। मंजोत कालरा को मैन ऑफ द मैच चुना गया। आस्ट्रेलिया खिताबी मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए 47.2 ओवरों में 216 रनों पर सिमट गई। आस्ट्रेलिया के लिए जोनाथन मेर्लो ने 76 और परम उप्पल ने 34 रनों का योगदान दिया। भारत ने चौथी बार अंडर-19 विश्व कप का खिताब अपने नाम किया है। इससे पहले वो, 2000 में मोहम्मद कैफ की कप्तानी में, 2008 में विराट कोहली की कप्तानी में और 2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी में विश्व विजेता बन चुका है। वहीं भारत ने लगातार दूसरी बार फाइनल में आस्ट्रेलिया को मात दी। 2012 में भी भारत ने आस्ट्रेलिया को मात देते हुए खिताबी जीत हासिल की थी।  भारतीय गेंदबाजों ने आस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर से वंचित रखा और फिर उसके बल्लेबाजों मनजोत की अगुआई में भारत को जीत दिलाई। 

आसान से लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारत को कप्तान पृथ्वी शॉ (29) और कालरा ने मजबूत शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 71 रनों की साझेदारी की। इस बीच हालांकि बारिश भी आई, लेकिन उसका असर मैच पर नहीं पड़ा। कप्तान पृथ्वी को विल सदरलैंड ने बोल्ड कर भारत को पहला झटका दिया। उनके जाने के बाद मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए शुभमन गिल ने कालरा का साथ दिया और टीम का स्कोर 131 तक पहुंचा दिया। यहीं गिल उप्पल की गेंद पर क्लीन बोल्ड हो कर पवेलियन लौट लिए। कालरा को फिर देसाई का साथ मिला और यहां से दोनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 89 रनों की साझेदारी करते हुए भारत को विश्व विजेता बनाया और आस्ट्रेलिया के सपने को चकनाचूर कर दिया। कालरा ने अपनी नाबाद पारी में 102 गेंदों का सामना करते हुए आठ चौके और तीन छक्के जड़े। भारत चौथी बार विश्व कप जीतने वाला पहला देश बन गया है। आस्ट्रेलिया भी अपने चौथे खिताब की दौड़ में था, लेकिन सफल नहीं हो सका। उसने 1988, 2002 और 2010 में खिताब अपने नाम किया था। 

आस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। ईशान पोरेल ने उसे 32 के कुल स्कोर पर पहला झटका दिया। उन्होंने मैक्स ब्रायंट (14) को अभिषेक शर्मा के हाथों कैच कराया। आस्ट्रेलिया को दूसरा झटका भी ईशान ने दिया। उन्होंने दूसरे सलामी बल्लेबाज जैक एडवर्ड्स (28) को पवेलियन भेज दिया। 59 के कुल स्कोर पर कप्तान जेसन सांघा (13) को कमलेश नागरकोटी ने पवेलियन भेजा। यहां आस्ट्रेलिया मुश्किल में थी। मेर्लो और उप्पल ने उसे संभाला और चौथे विकेट के लिए 75 रनों की साझेदारी की। उप्पल को अनुकूल रॉय ने अपनी ही गेंद पर कैच आउट कर उनकी पारी का अंत किया। मेर्लो को फिर नाथन मैक्स्वीनी का साथ मिला और दोनों ने टीम को 183 के स्कोर पर पहुंचा दिया। लेकिन शिवा सिंह ने अपनी ही गेंद पर मैक्स्वीनी का कैच पकड़ इस साझेदारी को तोड़ा। यहां से आस्ट्रेलिया ने लगातार विकेट खो दिए और जल्दी पवेलियन में लौट गई। मेर्लो 212 के कुल स्कोर पर सातवें विकेट के रूप में पवेलियन लौटे। उन्होंने अपनी पारी में 102 गेंदों का सामना करते हुए छह चौके लगाए। भारत के लिए ईशान, शिवा, नागरकोटी और रॉय को दो-दो सफलताएं मिलीं। शिवम को एक विकेट मिला। 


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