मुंबई 24अक्टूबर ( वीएनआई) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परचे भले ही गत 22 अक्टूबर से ्दाखिल होने शुरू हो गये हो, और कई कद्दावर नेताओ ने अपने नामांकनक पत्र भरने भी शुरू किये गये हो लेकिन विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारों को लेकर अब भी खींचतान जारी है.हम बात यह हैं कि कल एमवीए में सब कुछ ठीक दिखाने के लिए कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के एनसीपी (एसपी) तीनों ने ही बराबर-बराबर 85-85 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया.
लेकिन असली लड़ाई अब 15 सीटों की है. इसी 15 सीटों में तय होगा कि शिवसेना यूबीटी और कांग्रेस में बड़ी हिस्सेदारी किस कि होगीलोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से ही एमवीए में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकसी शुरू हो गई थी.
लेकिन लोक सभा चुनाव में राज्य में सबसे अधिक सीटें कांग्रेस ने जीती और विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीटों पर लड़ने का दावा किया. इसके लिए उद्धव ठाकरे की पार्टी राजी नहीं दिखी. शिवसेना यूबीटी ने 100 से अधिक सीटों पर दावा ठोंका. कल राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा था कि देश हमेशा यह चाहता है कि शिवसेना सेंचुरी मारे और हमारे में सेंचुरी लगाने का दाम है.
दोनों की लड़ाई में महाराष्ट्र के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार का पावर बरकरार है. चुनाव के शुरुआती दिनों से ही चर्चा रही है कि पवार की पार्टी को 80 से 90 सीटें मिल सकती है और उसे 85 सीटें मिल चुकी है. माना जा रहा है कि 15 सीटों में भी एनसीपी को कुछ सीटें मिलेगी.
दिलचस्प बात यह है कि बुधवार को कांग्रेस और शिवसेना के बीच सीटों को लेकर समझौता भी शरद पवार ने ही कराया. दिनभर की बैठक के बाद रात के करीब साढ़े 12 बजे पवार वसंतराव च्वहाण सेंटर से निकले. शरद पवार की मुहर के बाद संजय राउत, नाना पटोले और जयंत पाटिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और 85-85 के फॉर्मूले की घोषणा की.
राज्य में विधानसभा की 288 सीटें हैं. इनमें से 255 सीटों पर तीनों दलों के बीच सहमति बनी है. 18 सीटें सहयोगी दल समाजवादी पार्टी, आप, लेफ्ट और शेतकरी संगठन को देने का फैसला लिया गया है. राजनैतिक पंडित मानते हैं कि तीनों ही दल छोटी पार्टियों को फिलहाल ऊहापोह में रखना चाहते हैं.
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी 12 सीटों की मांग कर रही है और पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. अन्य दलों के उम्मीदवार टिकट पाने के लिए एमवीए शामिल दलों के कार्यालयों में उमड़ रहे हैं, क्योंकि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है. इन दलों के नेताओं का मानना है कि सीट आवंटन में लगातार हो रही देरी उनकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है.
दरअसल, सीट शेयरिंग से ही तय होगा कि किस पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा होगा और इसपर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) फिलहाल तो समझौते के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के लिए की गई नारेबाजी के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने आज कहा कि उनका पहला काम एमवीए को सत्ता में लाना है. उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला आलाकमान द्वारा किया जायेगा.’’
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) पहली बार कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. शिवसेना 1990, 1995, 1999, 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी. हालांकि पार्टी ने 2014 के चुनाव से पहले गठबंधन तोड़ लिया. इसके बाद एक बार फिर 2019 में पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी. ये गठबंधन भी चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर टूट गया. इसके बाद वो कांग्रेस-एनसीपी के साथ आ गए. बाद में एनसीपी और शिवसेना भी दो धड़ों में बंट गई.वी एन आई
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