उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा वीर सावरकर बहुआयामी व्यक्तित्व थे

By Shobhna Jain | Posted on 16th Nov 2019 | देश
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नई दिल्ली, 16 नवंबर, (वीएनआई) उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि वीर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, लेखक, कवि, इतिहासकार, राजनेता और दार्शनिक के मिले जुले रूप थे।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बीते शुक्रवार को विक्रम संपत की पुस्तक 'सावरकर: इकोज फ्रॉम ए फॉरगॉटन पास्ट' के विमोचन के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, किताब के जरिए वीर सावरकर की जो कहानी सामने आती है, उससे भारत मां के इस दृढ़-संकल्प से भरे, बेटे के देशभक्ति से भरे नजरिए का खुलासा होता है। उन्होंने 1857 के विद्रोह को देश की आजादी की पहली लड़ाई करार दिया और सशस्त्र प्रतिरोध को आजादी हासिल करने के विकल्प के तौर पर चुना। सावरकर ने लंदन और पूरे यूरोप में कई वीर युवाओं को नेतृत्व प्रदान किया ताकि भारत की आजादी के लिए समर्थन हासिल किया जा सके।

वेंकैया नायडू ने आगे कहा कि वीर सावरकर एक सामान्य पुरुष नहीं थे। वे एक दूरदर्शी समाज सुधारक, भविष्य की तरफ देखने वाले उदारवादी और एक प्रख्यात व व्यहारिक रणनीतिकार थे जो भारत को औपनिवेशिक शासन से आजाद कराना चाहते थे। वेंकैया नायडू ने कहा कि उनकी जीवनी लिखना आसान नहीं है। उपराष्ट्रपति ने इसके लिए वीके संपत की सराहना करते हुए कहा कि सावरकर के जीवन के कई ऐसे पहलू हैं जिन्हें लोग नहीं जानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बहुत कम लोग जानते होंगे कि सावरकर ने देश में छुआछूत के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन छेड़ा था। उन्होने कहा कि सावरकर ने रत्नागिरी जिले में पतित पावन मंदिर का निर्माण कराया जिसमें दलित सभी हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति थी।


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