सर्वोच्च न्यायलय ने आधार को पूरी तरह वैध ठहराया, डेटा सिक्योरिटी पर बने कानून

By Shobhna Jain | Posted on 26th Sep 2018 | देश
altimg

नई दिल्ली, 26 सितम्बर, (वीएनआई) सर्वोच्च न्यायलय ने आज आधार कार्ड की वैधता को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए आधार को पूरी तरह वैध बताया है। साथ ही डेटा सिक्योरिटी के लिए कानून बनाने को भी कहा है।

गौरतलब है सर्वोच्च न्यायलय में आधार मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल उठा था कि राइट टु प्रीवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं? जिसपर न्यायलय ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। आधार को चुनौती देने वाले वकील गोपाल सुब्रमण्यम का कहना था कि आधार स्कीम के जरिए नागरिकों को सरकार की दया के सहारे छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा था कि अगर यूएआईएडीआई के फैसले से कोई प्रभावित होता है तो ऐसी स्थिति में नागरिक कहां जाएगा। वहीं केंद्र की ओर से भी इस मामले में दलील दी गई थी कि आधार नागरिक फ्रैंडली है। केंद्र की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अभी देश में 96 फीसदी लोगों के पास आधार है। आधार नागरिक फ्रैंडली योजना है। अगर किसी के पास आधार नहीं है तो भी किसी बेनिफिट से वंचित नहीं किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायलय ने आधार की अनिवार्यता पर कहा कि यह आम आदमी की पहचान बन चुका है। जस्टिस एके सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए। आधार कार्ड पिछले कुछ साल में चर्चा का विषय बना है। आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है। आधार कार्ड पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार को होना आपको अलग बनाता है। कोर्ट ने कहा कि बायोमैट्रिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। UIDAI नंबर यूनिक है और इसका इस्तेमाल किसी अन्य व्यक्ति के लिए नहीं किया जा सकता है। 

सर्वोच्च न्यायलय ने आधार पर अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि आधार से समाज को लाभ मिल रहा है। न्यायलय ने सुनवाई के दौरान सरकार से कहा कि जितनी जल्द हो सके मजबूत डेटा संरक्षण कानून लाएं। न्यायलय ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। आधार को बैंक अकाउंट से लिंक नहीं करा सकते हैं। बैंक खातों के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो। न्यायलय आगे ने कहा कि घुसपैठियों का आधार न बने, सरकार सुनिश्चित करे। सरकार की कई दलीलों को कोर्ट ने दरकिनार करते हुए फैसला दिया कि मोबाइल से आधार लिंक करना जरूरी नहीं है।  न्यायलय ने सेक्शन 57 को खारिज किया, यानी किसी भी प्राइवेट कंपनी, शिक्षण संस्थान, बैंक, परीक्षा एजेंसियों, मोबाइल कंपनियों की तरफ से आधार नहीं मांगा जाना चाहिए। 

सर्वोच्च न्यायलय ने साथ ही कहा पेन कार्ड से आधार लिंकिंग को अनिवार्य है। साथ ही इनकम टैक्स रिटर्न के लिए आधार अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बायोमैट्रिक डेटा बिना अदालत की मंजूरी के किसी एजेंसी को नहीं दिया जाना चाहिए। न्यायलय ने कहा कि सरकार को किसी भी शख्स की निजता की सुरक्षा करना जरूरी, कम से कम जानकारी मांगी जाए। आधार ऑथेंटिकेशन रिकॉर्ड छह महीने से अधिक तक नहीं रखा जाना चाहिए। गौरतलब है चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार प्राइवेसी और डेटा प्रोटेक्शन के अधिकारों का उल्लंघन करता है। 


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day
Posted on 6th Apr 2025

Connect with Social

प्रचलित खबरें

altimg

Posted on 29th Jan 2015

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india