नई दिल्ली, 22 सितम्बर (वीएनआई)| सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि राज्य गौरक्षक समूहों की ज्यादतियों का शिकार हुए पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए बाध्य हैं।
सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों से गौरक्षक समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के आदेश के अनुपालन में सभी राज्यों को रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है। पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य पीड़ितों को मुआवजा देने की योजना बनाने के लिए बाध्य है और अगर उन्होंने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है तो जरूर बनाएं।
इस संबंध में एक याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सर्वोच्च अदालत से गौरक्षकों की हिंसा के शिकार लोगों को मुआवजे दिए जाने का आग्रह किया। जयसिंह ने कहा कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए। इन याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी अदालत को बताया कि गौरक्षा के नाम पर अपराधी जमानत पर रिहा होने के दौरान पीड़ित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उसका उत्पीड़न किया गया।
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