नई दिल्ली, 27 अप्रैल (वीएनआई)| सर्वोच्च न्यायालय तीन मई को केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम को कमजोर करने से संबंधित फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल द्वारा पीठ को यह सूचित करने पर कि न्यायालय द्वारा तीन अप्रैल को दिए आदेश के बाद सभी पक्षों ने अपनी लिखित दलीलें पेश कर दी हैं, न्यायालय इस मामले की सुनवाई करेगा। केंद्र ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रूख किया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सांसदों व विधायकों समेत कई लोगों ने विरोध किया है। इनलोगों का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के हितों की रक्षा करने वाले एससी/एसटी(अत्याचार निवारण) अधिनियम का प्रावधान कमजोर हुआ है।
न्यायमूर्ति गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित द्वारा 20 मार्च को सुनाए गए फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार समीक्षा की मांग कर रही है। इससे पहले इस मामले की तीन अप्रैल को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, लेकिन स्पष्ट किया था कि बिना एफआईआर दर्ज किए भी एससी/एसटी(अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत अत्याचार का शिकार हुए कथित पीड़ित को मुआवजा दिया जा सकता है। अदालत ने कहा था, हम कानून या इसके क्रियान्वयन के विरुद्ध और इसे कमजोर करने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि हमारा उद्देश्य निर्दोष लोगों को सजा पाने से बचाना है।
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