मेक्सिको की युवती अमरीका मे ग्रहण करेगी जैन साध्वी की दीक्षा

By Shobhna Jain | Posted on 29th Jun 2016 | देश
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डलास, अमरीका,29 जून (शोभनाजैन/वीएनआई)भारतीय वधू की पारंपरिक परिधान पहने मेक्सिको की एक युवती, लेकिन यह युवती विवाह करने नही जा रही है, लेकिन कुछ ही क्षणो मे वह् वधू की साज सज्जा छोड़ साध्वी का वेश धारण कर लेगी और सन्यास मे विधिवत प्रवेश कर् जायेगी. मेक्सिको की 33 वर्षीय युवती तान्या मेंज आगामी 9 जुलाई को जैन साध्वी की दीक्षा ग्रहण करने जा रही है. अमरीका के जैन तीर्थ सिद्धायतन की साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार पिछले चार वर्षो से सुश्री तान्या इस तीर्थ मे सन्यासी की अभ्यास साधना कर रही है.जैन साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार सुश्री तान्या एक सफल प्रोफेशनल रही है , 12 वर्ष की आयु मे उनका परिवार अमरीका आ बसा और यहा उन्होने बिजनेस मेनेजमेंट व अनेक उच्चतर शिक्षा के पाठ्यक्रम पढे और उच्च पदासीन हुई, दुनिया घूमी, लेकिन संसार यात्रा से अलग हट कर अध्यात्म की यात्रा उन्हे आकर्षित करने लगी थी चार वर्ष पूर्व पहली बार सिद्धायतन तीर्थ आयी और यहा से उनके जीवन की दिशा ही बदल गई. जैन दर्शन,तप और साधना से प्रभावित हो कर यहा आचार्य श्री योगीश के आशीर्वाद से जैन साधवी बनने का संकल्प लि्या, साधु आश्रम् मे रहते हुए जैन साधु पंरपरा का पालन करते हुए वे शाकाहारी बनी ,जहाँ अहिंसा प्रेम करूणा उनके जीवन का मूलमंत्र बना. सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान एवं सम्यक चारित्र के सिद्धांतो का पालन करते हुए उन्होने आचार्य और गुरूजनो के आशीर्वाद से आत्मल्याण् के जरिये जन कल्याण की राह चुनी इस अवसर पर अपने आशीर्वचन मे आचार्य श्री ने कहा कि अब सुश्री तान्या साध्वी का जीवन अपना कर स्वयं को पूरी तरह से मानवता के लिये समर्पित कर रही है और अध्यात्म,अहिंसा और शांति के संदेश का पूरी दुनिया मे प्रसार ही उनके जीवन का ध्येय है. साध्वी सिद्धाली श्री के अनुसार साध्वी बनने के संकल्प लेने के बाद से सुश्री तान्या सिद्धायतन तीर्थ मे ही रह रही है और उन्होने अपना शेष जीवन जैन दर्शन और जैन सिद्धांत को समर्पित कर दिया है.साध्वी श्री के अनुसार आगामी आगामी 9 जुलाई को साधु संतो, अपने परिजनो और श्रद्धालुओ की उपस्थति मे सुश्री तान्या आचार्य श्री योगीश से पूरे विधि विधान से साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर लेगी .एक जैन श्रद्धालु के अनुसार इस अवसर पर सुश्री तान्या पहले जैन साधु पंरपरा अनुसार वधू की वेश भूषा मे सुसज्जित होगी लेकिन फौरन ही दुलहन वेश त्याग कर साध्वी के सफेद वस्त्र धारण कर् लेगी और संसारिक इच्छाओ, बंधनो का त्याग कर जैन दर्शन के सिद्धांतो के प्रचार प्रासार के लिये जीवन को समर्पित कर देगी.वीएनआई

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