नयी दिल्ली, 26 जनवरी (वीएनआई) राजधानी के राजपथ पर आज देश के 68वीं गणतंत्र दिवस परेड में भारत की अदम्य सैन्य शक्ति और विभिन्न क्षेत्रों में उसकी उपलब्धियों और उसकी विविधतापूर्ण संस्कृति को प्रदर्शित किया गया. अबु धाबी के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे.
सुबह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तिरंगा फहराकर कार्यक्रम की शुरुआत की.समारोह मे उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, केबीनेट के अनेक मंत्री और विभिन्न देशो के राजनयिको सहित ु उत्साह से भरे आम जन ने परेड देखी. करीब 90 मिनट तक चले परेड में सबसे खास बात यह थी कि 32 साल में पहली बार इसमें एनएसजी कमांडो को इस परेड मे शामिल किया गया. संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) से आये बैंड ने भी परेड में भाग लिया.पिछले साल फ्रांस की आर्मी ने परेड में हिस्सा लिया था. इसके साथ देसी धनुष तोप पहली बार यहां दिखी. जबलपुर की गन कैरिज फैक्टरी द्वारा निर्मित 155 मिमी की इस तोप की लागत 14.50 करोड़ रुपये है. यह भारत द्वारा 1980 के दशक में खरीदे गए बोफोर्स तोपों का उन्नत रूप है. टी-90 भीष्म टैंकों, इंफैंटरी कॉम्बैट व्हीकल बीएमपी -2के, वेपन लोकेटिंग रडार स्वाति, सीबीआरएन रीकान्सन्स व्हीकल को भी परेड में शामिल किया गया.
इसमें सबके आकर्षण का केंद्र देश का हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस और एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निग एंड कंट्रोल सिस्टम (एईडब्ल्यू एंड सी) रहा. आसमान में बदली छाए रहने के बावजूद 300 मीटर की ऊंचाई पर 780 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरकर तीन लड़ाकू जेट विमानों ने राजपथ पर दर्शकों को हैरत में डाल दिया.
इससे पहले एलसीए ने पिछले साल भारतीय वायु सेना दिवस पर भी उड़ान भरी थी. इसने आईएएफ की प्रदर्शनी आयरन फर्स्ट, एयरो इंडिया और बहरीन अंतरराष्ट्रीय एयरशो में भी अपनी ताकत दिखाई थी.
एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा विकसित और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. द्वारा प्रस्तुत स्वदेशी निर्मित तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो 1,350 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ने की क्षमता रखता है और इसकी तुलना फ्रांस के मिराज 2000, अमेरिकन एफ-16 और स्वीडन के ग्रिपेन सहित विश्व के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों से की जाती है. तेजस को जुलाई 2016 में भारतीय वायुसेना के 45वें स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था। विमानों की संख्या को मौजूदा आठ से बढ़ाकर प्रतिवर्ष 16 करने की योजना है.
समारोह के दौरान हवलदार हंगपन दादा को (मरनोपरांत) अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति से उनकी पत्नी चासन लोवांग दादा ने पदक ग्रहण किया. विंग कमांडर रमेश कुमार दूबे के नेतृत्व में परेड की शुरुआत हुई. चार एमआई-17 हेलिकॉप्टर के द्वारा आकाश से पुष्प वर्षा की गयी. इनमें से एक हेलिकॉप्टर तिरंगा लगा था उसके पीछे तीनों सेना के झंडों के साथ हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे थे.
परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर-भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया. परमवीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित सैनिकों ने भी परेड कमांडर का अनुशरण किया. यूएई के सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ उसका संगीत बैंड परेड की अगुवाई कर रहा है. परेड का सबसे बड़ा आकर्षण भारत के एकमात्र कैवेलरी का अपने प्रतापी घोड़ों के साथ मार्च रहा था.
परेड में रक्षाकर्मियों का दुस्साहसी मोटरबाइक स्टंट भी शामिल था. परेड के बड़े आकर्षण में से एक एमआई-35 हेलिकॉप्टरों, स्वदेशी हल्के लडाकू विमान तेजस, जगुआर और सुखोई का सलामी उड़ान था. सेना अपने टैंक टी-90 और इन्फैन्टरी कॉम्बैट व्हीकल और ब्रह्मोस मिसाइल, हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया. एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली थी. इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रुद्र सलामी उड़ान भरी.
गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यो की सांस्कृतिक छटा बिखेरती और विभिन्न विभागो की झॉकियो के आते ही बच्चो मे खास तौर पर उत्साह की लहर दौड़ गईइस के अलावामेकैनाइज्ड इन्फैन्टरी रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, गोरखा ट्रेनिंग सेंटर और पंजाब रेजीमेंटल सेंटर, सिख रेजीमेंटल सेंटर, मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप, इन्फैन्टरी, बटालियन (क्षेत्रीय सेना) सिख लाइट इन्फैन्टरी का संयुक्त बैंड भी दिखा.