नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (शोभनाजैन/वीएनआई) भारत में जर्मन राजदूत वाल्टर जे लिंडनर अपनी तरह के एक अलग से राजदूत हैं, कूटनीति की विषमताओं, सुलभताओं के उतार चढाव के साथ साथ उनका एक जीवन दर्शन हैं. भारत में राजदूत बनने के बाद उन्होंने ऑटो उद्द्योग के लिये दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले अपने देश में निर्मित ्किसी लग्जरी कार ्को अपना सरकारी वाहन बनाने की बजाय भारत में निर्मित एम्बेसेडर कार को अपना सरकारी वाहन बनाया हैं. उन की लाल रंग की एम्बेसेडर कार अब भारत जर्मनी साझा रिश्तों की नई पहचान बन चुकी हैं. कूटनीति की विषमताओं पर चर्चा के साथ साथ जीवन चक्र के उतार चढाव, जीवन दर्शन जैसे विषयों पर उन का एक दर्शन हैं,इससे जुड़ी हिंदू धर्म की व्याख्या पर उन का एक सोच हैं.वे मानते हैं कि जिंदगी एक "बहुत बड़ा इत्तफाक" हैं, जिंदगी में होने वाली घटनायें इत्तफाक. यह इत्तफाक ही हैं कि जीवन चक्र उन्हें कूटनीति में ले आया" मैं टेक्सी ड्रायवर भी बन सकता था या कुछ और भी."राजनयिक की भूमिका के साथ साथ वे एक संगीतज्ञ भी है. उनकी की अनेक सी डी बाजार में आ चुकी हैं.
वे कहते हैं "इस वर्ष अप्रैल में अपना कार्य भार संभालने के बाद से पीठ पर बेग बॉध कर मै भारत के कोने कोने में एक बीस साल के युवा की तरह घूमता हूं. भारत , उस के लोग मेरे दिल के बहुत करीब बने रहते हैं. लगता है यह चक्र पूरा का पूरा घूम गया हैं,अब मै दोनों देशों के इन नजदीकी रिश्तों को और करीब ला सकता हूं"पैदल घूमते घूमते वे गली चौराहों पर लोगों से बतियाते हैं.. विदेशी मामलों को कवर करने वाले पत्रकारो/ स्तंभकारों की संस्था इंडियन एसोसियेशन ऑफ फॉरेन कॉरेस्पोन्डेंटस-आईफेक के सदस्यों के साथ बातचीत में उन्होंने भारत जर्मनी उभयपक्षीय संबंधों, अंतरराष्ट्रीय स्थति पर ्विचार साझा करने के साथ जिंदगी के इस पक्ष पर भी सरसरी तौर पर उन के विचार जानने का मौका मिला. कश्मीर को वह भी दुनिया की जन्नत मानते हैं, इस मसलें पर उन्होंने जर्मनी का विस्तृत पक्ष साझा किया.
गत जुलाई की नागपुर यात्रा के दौरान उन की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख भागवत के साथ संघ मुख्यालय जा कर की गई मुलाकत खासी चर्चा का विषय रही. अंग्रेजी दैनिक दि हिंदू को दिये गये एक इंटरव्यू में तब उन्होंने इस मुलाकात के बारे मे कहा था " जितना संभव हो पाता हैं मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलता है, मैं भारत को समझना चाहता हूं,इस के लोगों को जानना चाहता हूं, जानना चाहता हूं कि क्या बात है जो समाज को इतना जीवंत रखती हैं. इस कड़ी में मैं वाराणसी के साधुओं से बात करता हूं , कोलकता के फूल बेचने वालो, दिल्ली के आर्कबिशप, सूफी दरगाहों, देश भर में सभी से चर्चा करता हूं. नागपुर की यात्रा के दौरान अन्य स्थलों का दौरा करने के क्रम में मै संघ के मुख्यालय भी गया ताकि वे इस संगठन के बारे में मै खुद जा कर जान सकूं.इस संगठन के बारे में मैने बेहद सकारात्मक और बेहद नकारात्मक लेख पढे, लेकिन मै चाहता था इसे खुद समझू. श्री भागवत से मैंने कई सवाल पूछें"
इस "असमान्य मुलाकात" के सुर्खियों में आने के बाद उन्होंने मुलाकात के बारे में ट्वीट कर लिखा "आर एस एस इतिहास में गैर विवादास्पद नही मानी गई" वी एन आई
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