गली गली खुशियाँ बाँटने वाला ग्यारह सौ करोड़ का मालिक फेरीवाला

By Shobhna Jain | Posted on 17th Feb 2022 | देश
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बीकानेर, 12 फरवरी, (शोभना जैन/वीएनआई) जनवरी की  सर्द हवाओं भरी बीकानेर की सुबह...बादलों की घेराबंदी से जूझ रहा सूरज पूरी शिद्दत से घेराबंदी तोड़नें की कौशिश कर रहा था, अचानक खामोश से माहौल में दूर से आती हुई एक पुरानें फिल्मी गानें की आवाज धीरें धीरें नजदीक आती सुनाई देती है.. 

तू मेरा चॉद मैं तेरी चॉदनी, तु
मेरा राग मै तेरी रागिनी..

आवाज नजदीक आती हैं. यें आवाज मोटरसाईकिल पर लगें डेक से आ रही थी, और वो मोटर साईकिल भी कुछ  खास ही थी, तमाम तरह का घर की सफाई से जुड़ा सामान, झाड़ू, पोंछा, फिनायल, सफाई वाली ब्रुश और भी इसी तरह के सामान से लदी हुई यह महज मोटर साईकिल नहीं थी बल्कि खुशियॉ बॉटनें वा्लें एक फेरी वालें की मोटर साईकिल थी , जो पिछलें अनेक बरसों से मोटर साईकिल पर गली गली, मोहल्लें घूम घूम कर संगीत के जरियें खुशियां बांटता आ रहा हैं. मिलियें धूप का चश्माधारी मोटर साईकिल सवार मुस्करातें हुएं फेरीवा्लें मुन्ना भाई से, जो मोटर साईकिल पर बज रहें गाने के साथ मस्ती से स्वर मिलातें हुयें आगें बढतें जाते हैं. साठ वर्षीय मुन्ना भाई जो महज एक फेरी वालें नहीं बल्कि हर सुबह शहर की गलियों में इस संगीतमय मोटरसाईकिल से अपना सामान बेचनें से ज्यादा खुशियॉ बॉटनें पर विश्वास करतें हैं. संगीत को पूजा ईबादत मानने वालें मुन्ना भाई कहतें है " जब 70-70 बरस के बुजुर्ग उन के टाईम का गाना बजानें के लियें  मेरें सिर पर हाथ लगाकर आशीर्वाद देते हैं या फिर आपने बंद गेटों से झॉकतें बच्चें हाथ हिलाकर  मोटर साईकिल पर बजायें गानें सुन कर मुस्करातें हैं तो बहुत सुकून मिलता हैं, लगता हैं आज दिन की कमाई हो गई." मु्न्ना भाई बताते हैं "

मैडम मैं गरीब नही हूं, बहुत अमीर हूं मैं ग्यारह सौ करोड़ का मालिक हूं. ग्यारह सौ पुरानें फिल्मी गानों के रिकार्ड हैं, मेरे पास, और इनसे मैंने प्यार और खुशियॉ की बेपनाह दौलत कमाई हैं." गानें की स्वर लहरियों के बीच मुन्ना अपनी रौ में कहें जा रहे थें " कई बार ऐसे भी हुआ कि किसी ने कहा कि  आप गाने बजा कर शोर  क्यों मचातें हैं, मैडम मैं फिर उस गली / मोहल्लें में वापिस गया ही नहीं, भले ही बाद में उन्होंने कितना बुलाया हो, खुशियॉ तो हा्थ फैला कर बटोरनी चाहियें ना" और यह काम कैसे शुरू हुआ ? उसी मुस्कराहट के साथ मुन्ना भाई कहते हैं" दरअसल  मोटर साईकिल पर फेरी लगा कर सामान  बेचनें का यह काम तो मै कर ही रहा था, लेकिन  दिल मैं एक तमन्ना रहती थी कि कैसे लोगों को हंसाऊ, उन को खुशियॉ दे सकूं,  सात आठ साल पहलें मैं  एक पुरानी डेक ले आया, पुरानें फिल्मी गानों के कुछ रिकार्ड लियें, लोगों को  बहुत पंसद आयें, बस लगा अरे ये मामला तो फिट हो गया, " लोकप्रिय गानों के चयन के पीछें भी उन की मेहनत झलकती हैं.मुन्ना भाई बतातें हैं "कौन से गाने लाऊ, मैं पहलें जहन में सोचता हूं,फिर कॉपी पर नोट करता हूं , और जिन में उन्हें गीत और संगीत दोनों ही अच्छें लगते हैं. वो ही रिकार्ड मैं लाता हूं "वे बतातें हैं" फेरी से उन्हें आमदनी हो जाती हैं,लेकऩ अगर किसी दिन धंधा मंदा हो भी तो भी उन्हें कोई गम नही होता,खुशियॉ तो बॉट ही दी. डेक लगानें  में भले ही मेरे चार हजार रूपयें खर्च हुयें लेकिन उस का मुझें कोई मलाल हीं, जिस काम से सकून मिलें, और लोगों को खुशी, उस का  हिसाब किताब  तो बेमायनें  ही हैं." मोटर साईकिल पर  ्बैठें बैठें गानें के साथ तन्मयता से नृत्य की भव भंगिमायें करते हुयें वे कहतें हैं" मैं नाचता भी हूं, तो लोगों को और भी अच्छा लगता है, नाचनें से सारी चिंतायें दूर हो जाती हैं और धूप के चश्में से जुड़ी पहचान ? मुन्ना भाई कहते हैं" अब तो जिस दिन चश्मा नही लगाऊ तो सभी पूछतें हैं' चश्मा कहा गया, क्यों नही लगाया ? इसी बीच  कुछ खरीद दार भी आ जाते हैं, कुछ ने झाड़ूं खरीदी, कुछ ने  कुछ और सामान .  मुन्ना भाई दुकानदारी का हिसाब किताब करनें के बाद फेरी वालें से हट कर फिर से संगीत  रसिक की मुद्रा में आ जाते हैं. बातों बातों में मुन्ना भाई बतातें हैं मूलतः वे उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वालेम हैं, "लेकिन चालीस बरस पहलें बीकानेर आया और यहॉ की मिट्टी ने उन्हें अपना लिया और यहीं घर परिवार बसता गया.अब तो यहीं का हूं " रोज शाम को पॉच बजें तक वे अपनी इस संगीतमय फेरी पर  तैनात रहते हैं. सूरज बादलों की घेराबंदी से निकल चुका हैं, बादलों से जंग जीत कर उजली धूप मुस्कराती हुई खिल रही हैं. मुन्ना भाई गानें की स्वर लहरियों के साथ मोटर साईकिल पर बैठें बै्ठें नृत्य से करनें लगते हैं' जैसे जैसे मोटर साईकिल आगें बढनें लगती  हैं, गानें की आवाज मद्धम पड़ती जा रही. गानें के बोल गूंज रहे हैं 

"जब तक चमके चॉद सितारें देखो छूटें ना साथ...
यकीनन संगीत के साथ खुशियॉ बॉटनें का सिलसिला जारी रहेगा, टूटी नहीं. आमीन...


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