नई दिल्ली, 04 जून, (वीएनआई) क्रन्तिकारी युवा संगठन और एसओएल छात्रों ने मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी पर वादा तोड़ने का आरोप लगाते हुए बताया कि बीते 1 जून को एक न्यूज़ चैनल पर हुए कार्यक्रम ‘स्मृति की परीक्षा’ में जब एक कॉरेस्पोंडेंस के छात्र ने मानव संसाधन मंत्री से स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग में छात्रों को होने वाली समस्याओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वो कार्यक्रम के बाद छात्र के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर से मिलने जाएँगी| परन्तु कार्यक्रम के बाद ऐसा कुछ भी नहीं हुआ| साथ ही संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि यह साफ़ तौर पर मानव संसाधन मंत्रालय का वर्गीय चरित्र दिखलाता है कि वो एसओएल में पढने वाले 4.5 लाख छात्र जो समाज के सबसे पिछड़े और बहिष्कृत समुदाय से आते हैं के बारे में बिलकुल भी चिंतित नहीं हैं|
केवाईएस ने बताया कि एक ओर जहाँ मानव संसाधान मंत्रालय बेनाम चिठियों का जवाब देता है वहीँ दूसरी ओर उच्च शिक्षा का अधिकार मांग रहे कॉरेस्पोंडेंस छात्रों को जवाब देना भी उचित नहीं समझता| ज्ञात हो कि कार्यक्रम के दौरान छात्र ने पूछा था कि कॉरेस्पोंडेंस छात्रों को रेगुलर इवनिंग कॉलेज का अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा जिसके लिए वो लगातार संघर्षरत हैं| उल्टा सुधार के नाम पर रेगुलर कॉलेजों में सीबीसीएस लाया जा रहा है जिस कारण से एसओएल छात्रों का कोर्स डीवैल्यू होगा|
संगठन ने आगे बताया कि कॉरेस्पोंडेंस के छात्रों ने इस बात को बार-बार जगजाहिर किया है कि एसओएल के छात्रों ने एसओएल को चुना नहीं है बल्कि कॉलेजों-सीटों की कमी के कारण बहुसंख्यक स्टूडेंट्स को एसओएल (स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग) में जाना पड़ता है| ज्यादातर छटने वाले छात्र सरकारी स्कूलों से पढ़े होते हैं जहाँ घटिया पढाई के कारण उनके रिजल्ट खराब आते हैं| एसओएल में पढने वाली बहुसंख्यक आबादी समाज का गरीब मेहनतकश वर्ग है और वो अपने परिवार में पढने वाले पहली पीढ़ी हैं| साल 2014 में भी 2,78,000 छात्र-छात्राओं ने डीयू के रेगुलर कॉलेज के स्नातक कोर्सों के लिए फॉर्म भरे थे परन्तु केवल 54,000 सीट होने के कारण बहुसंख्यक स्टूडेंट्स को एसओएल जाना पड़ा|
साथ ही संगठन ने यह भी बताया कि छात्रों ने बार-बार इस बात को उठाया है कि पर्सनल कांटेक्ट प्रोग्राम (पीसीपी) में भारी धांधली हो रही है| स्टूडेंट्स को 2-3 से अधिक कक्षाओं का मेसेज नहीं मिलता और लगातार कक्षाओं की संख्या कम की जा रही है| प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को बस 12 दिन की कक्षाएं दी गयी जबकि आधे से अधिक कोर्स उनका अधूरा था| वहीँ सेकंड एवं थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स को बस 8 दिन की कक्षाएं दी गई| कम कक्षाओं और खराब शिक्षा व्यवस्था के कारण 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स हर वर्ष फेल होते हैं और 95 प्रतिशत स्टूडेंट्स का रिजल्ट खराब होता है| सच्चाई तो ये है कि इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी को छुपाने के लिए बस 20 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को मेसेज भेजा जाता है|
संगठन ने आगे बताया कि एसओएल के छात्र लेट परीक्षा परिणाम और घटिया लाइब्रेरी सुविधा से भी पीड़ित हैं| हर साल लाखों कॉरेस्पोंडेंस स्टूडेंट्स का एक बहुमूल्य वर्ष इसलिए बर्बाद होता है क्योंकि छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम देर से आता है| लेट रिजल्ट के कारण एसओएल के स्टूडेंट MA, BEd, LLB जैसे कोर्सों में दाखिला नहीं ले पाते| ठीक इसी प्रकार जहाँ एक ओर रेगुलर कॉलेज में सीबीसीएस लाया जा रहा है वहीँ दूसरी ओर इतिहास, सोशियोलॉजी, हिंदी जैसे बुनियादी कोर्स का एसओएल में च्वाईस ही नहीं है|