नई दिल्ली, 20 फरवरी, (वीएनआई) आज स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग(एसओएल) के कॉरेस्पोंडेंस छात्रों ने क्रन्तिकारी युवा संगठन के साथ मिलकर दिल्ली विश्वविधालय के वार्षिक फेस्ट-अंतर्ध्वनि के नाम पर सार्वजनिक धन-संसाधनों की बर्बादी का बहिष्कार करते हुए दिल्ली विश्वविधालय के आर्ट्स फैकल्टी मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया और छात्र-छात्राओं के बीच पर्चा वितरण किया| दिल्ली विश्वविधालय के स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग में इस समय लगभग साढ़े चार लाख छात्र और छात्राएं है|
ज्ञात हो कि आज 20 फरवरी से दिल्ली विश्वविधालय में ‘अंतर्ध्वनि’ की शुरुआत हुई जो तीन दिनों तक चलेगी| इस तीनदिवसीय कार्यक्रम के कारण एसओएल छात्रों को एक दिन के क्लास से हाथ धोना पड़ेगा| इस साल एसओएल के सेकंड और थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स को बस 8 ही क्लास दिए गए हैं और उसमे भी 1 क्लास अंतर्ध्वनि के कारण कॉरेस्पोंडेंस छात्रों को गवाना पड़ा| मतलब एसओएल के छात्रों को इस कार्यक्रम के कारण एक दिन के बहुमूल्य क्लास से महरूम रखा जायेगा ताकि रेगुलर कॉलेज के छात्र अपना प्रोजेक्ट प्रदर्शित कर सकें, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग ले सकें| ये पहली बार नहीं है जब कॉरेस्पोंडेंस के छात्रों ने विश्वविधालय प्रशासन के हाथों गैरबराबरी झेली है| ठीक इसी प्रकार प्रथम वर्ष के छात्रों को बस 12 दिनों की कक्षाएं दी गयी थी|
क्रांतिकारी युवा संगठन और कॉरेस्पोंडेंस छात्रों ने विश्वविधालय प्रशासन पर ये भी आरोप लगाया है कि उनके फीस के पैसे से अंतर्ध्वनि और ज्ञानोदय एक्सप्रेस जैसे कार्यक्रम किया जाते हैं| दिल्ली विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर दिनेश सिंह ने अपनी प्रतिष्ठा को चमकाने के लिए अंतर्ध्वनि-ज्ञानोदय एक्सप्रेस-फेस्ट जैसे कार्यक्रम का आयोजन किया है ताकि कुछ छात्रों को खुश कर लाखों छात्रों को घटिया शिक्षा व्यवस्था के मुंह में धकेल दिया जाये|
संगठन के कार्यकर्ताओं ने बताया कि एसओएल के कॉरेस्पोंडेंस छात्र लगातार रेगुलर इवनिंग कॉलेज की मांग को लेकर संघर्षरत हैं| ऐसे समय में फेस्टों-शो में लाखों-करोड़ों रुपये की बर्बादी दिल्ली के आम-जनता के संघर्ष की खिल्ली उड़ने जैसा है| इन्ही पैसों से लाखों एसओएल के छात्रों के लिए रेगुलर कॉलेज बनाये जा सकते थे|