नई दिल्ली 28 फरवरी (वीएनआई)भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का निर्णय अर्थव्यवस्था पर धीरे-धीरे अपना असर दिखा रहा है। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 9 फरवरी को समाप्त में सीआईसी की वृद्धि दर में गिरावट देखी गई है। यह गिरावट 8.2 प्रतिशत से घटकर 3.7 प्रतिशत हो गई है।गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 19 मई 2023 को ऐलान किया था कि वह 2,000 रुपये का नोट चलन से वापस रहा है। जनता को नोट वापस बैंकों में जमा करने के लिए 30 सितंबर 2023 तक का समय दिया गया था। फिर इसे एक हफ्ते तक बढ़ाया भी गया। अब बैंकों में 2000 का नोट नहीं बदलता। 31 जनवरी 2024 तक 2000 रुपये के करीब 97.5 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं। अब सिर्फ 8,897 करोड़ रुपये मूल्य के नोट जनता के पास हैं। नवंबर 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करके 2000 रुपये के बैंक नोट लाए गए थे।
सीआईसी में गिरावट:
सीआईसी का अर्थ है चलन मे मुद्रा या प्रचलन में मौजूद नोटों और सिक्कों का कुल मूल्य। आरबीआई के अनुसार, 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने के कारण सीआईसी में गिरावट आई है।
बैंकों में जमा में वृद्धि:
आरबीआई के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जनवरी में वाणिज्यिक बैंकों में जमा में दो अंकों की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि भी 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने के कारण हुई है।
आरएम में गिरावट:
आरएम का अर्थ है आरक्षित मुद्रा। इसमें सीआईसी के अलावा आरबीआई के पास बैंकों की जमा राशि और अन्य जमा शामिल हैं। आरबीआई के अनुसार, 9 फरवरी को आरएम की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत थी, जो एक साल पहले 11.2 प्रतिशत थी। आरएम में गिरावट सीआईसी में गिरावट के कारण हुई है।
बैंकिंग सुविधा:
आरबीआई ने जनता को 2000 रुपये के नोटों को बदलने या बैंक खातों में जमा करने के लिए कई सुविधाएं प्रदान की थीं। आरबीआई के 19 कार्यालयों में भी लोग 2000 रुपये के नोटों को बदल सकते हैं।
फिलहाल 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का निर्णय अर्थव्यवस्था पर धीरे-धीरे अपना असर दिखा रहा है। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों से यह पता चलता है कि सीआईसी और आरएम में गिरावट आई है।
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