ऑस्टियोपोरोसिस दिवस पर विशेष- आखिर ऑस्टियोपोरोसिस है क्या, बचाव के कुछ घरेलू उपाय

By Shobhna Jain | Posted on 20th Oct 2016 | देश
altimg
नई दिल्ली,20 अक्टूबर (अर्चनाउमेश/वीएनआई) आज विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस है.क्या आप जानते है आखिर यह क्या बीमारी है, इससे बचने के घरेलू उपाय क्या है,या क्या खाना चाहिये. इस बीमारी के मायने है ऐसी बीमारी, जिसमें हड्डियों की गुणवत्ता और घनत्व कम होता जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण सामान्यत: जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। दरअसल हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल नष्ट होने लगते हैं, जिस वजह से हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती हैं। इसमें हड्डियों का बीएमडी लेवल कम हो जाता है, जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां पतली या खोखली होकर कमजोर हो जाती है कई बार तो हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि काई छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है।हमारी हड्डियां कई तरह के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं, जो कि उम्र के साथ कम होने लगते हैं। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक महिलाओं में हीप फ्रेक्चर (कुल्हे की हड्डी का टूट जाना) की आशंका, स्तन कैंसर, यूटेराइन कैंसर तथा ओवरियन कैंसर जितनी ही है। ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख कारण के रूप में आनुवंशिक, प्रोटीन की कमी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी, व्यायाम न करना, बढ़ती उम्र, धूम्रपान, डायबिटीज, थाइरॉयड तथा शराब का सेवन आदि शामिल होते हैं। इसके अलवा दौरे की दवाओं तथा स्टेरॉयड आदि के सेवन से भी कभी-कभी ये समस्या हो सकती है। बहुत ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीने, ज्यादा नमक खाने तथा महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होने से भी इस बीमारी को पांव पसारने का मौका मिल सकता है।यूं तो आरंभिक स्थिति में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है। इस बीमारी में शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है। इसके अलावा बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में बार-बार दर्द होना, खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं। इसकी शुरुआत में तो हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है। खासतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है। क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती दौर में अक्सर पता नहीं लग पाता, इसलिए इसके जोखिम से बचने के लिए पचास साल की आयु के बाद डॉक्टर नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं, ताकि इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर वॉक, एरोबिक्स, डांस तथा लाइट स्ट्रेचिंग करें। इसके अलावा योग भी ऑस्टियोपोरोसिस में अराम पहुंचाता है। जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाएं। क्योंकि निष्क्रिय जीवनशैली ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा देती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहें। पोष्टिक आहार लें, जिनमें कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में हो। दूध से बने उत्पाद कैल्शियम के अच्छे श्रोत होते हैं, इनका सेवन करें। ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट अर्थात बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट भी कराया जाता है। डॉक्टर मानते हैं कि 40 साल की उम्र के बाद हर तीन वर्ष में एक बार बोन डेंसिटी टेस्ट करा लेना चाहिए। एक बात और, बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने वाले व एथलीट आदि की बोन डेंसिटी कम होने का खतरा रहता है, इसलिए इन्हें अपने खान-पान पर खास ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा आयुर्वेद व होम्योपैथी भी इसके इलाज में कारगर होती है। बताते हैं कि किस तरह घरेलू उपायों को अपनाकर और खान पान से आप ऑस्टियोपोरोसिस से बच सकती हैं। नारियल का तेल - आहार विशेषज्ञो के अनुसार आहार मे नारियल तेल को शामिल करने से हड्डियों का घनत्व बढ़ता है। साथ ही एस्ट्रोजन की कमी भी पूरी होती है। नारियल के तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यौगिक हड्डियों के ढांचे को सुरक्षित रखते हैं। इस तेल की मालिश भी हड़िया मजबूत बनाती है सूखे प्लम, खाने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। प्रून्स में मौजूद पोलीफिनोल्स हड्डियों को हुए नुकसान की भरपाई करता है। इतना ही नहीं प्रून्स में बोरान और तांबा जैसे खनिज होते हैं जो कि हड्डियों के लिए जरूरी खनिजों में शामिल हैं। सेब भी इसके बचाव मे लाभकारी माना जाता है. इस में पोलीफिनोल्स और फ्लेवनोइड्स के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी होता है जो कि हड्डियों की सूजन को कम करके उनके घनत्व को बढ़ाता है। इसलिए रोज एक सेब खाने की आदत बनाएं। बादाम के दूध में कैल्श्यिम की उच्च मात्रा होती है। इसलिए बादाम का दूध ऑस्टियोपोरोसिस के बेहद अच्छा उपचार है। बादाम के दूध में हड्डियों के लिए जरूरी तत्व मैग्नीशियम, मैगनीज और पौटेशियम भी शामिल होते हैं। ऐसे में रोज एक गिलास बादाम वाला दूध नियमित रूप से पीएं। अपने भोजन में तिल के बीज शामिल करने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। तिल में भी कैल्शियम की उच्च मात्रा होती है, जो कि हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व है। इसके साथ ही तिल में मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, मैंगनीज, तांबा , जस्ता और विटामिन डी भी होता है। उपचार के लिए एक मुट्ठी भुने हुए तिल चबा कर दूध पीएं। इसके अलावा खाने बनाने में भी भुने हुए तिलों को ऊपर से डालकर खाया जा सकता है। अनानास अनानास में ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के लिए जरूरी मैंगनीज शामिल है। मैंगनीज की कमी से हड्डियों का घनत्व कम और हड्डियां पतली हो सकती हैं, ऐसे में अनानास खाने से मैंगनीज की कमी पूरी होती है। उपचार के लिए हर रोज खाना खाने से पहले एक कप अनानास को खाएं। इसके साथ ही अनानास का जूस भी पिया जा सकता है। धनिया के बीज धनिया के पत्ते और बीज दोनों में ही मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम और मैंगनीज आदि पोषक तत्व होते हैं। धनिया के बीजों को गरम पानी में उबालकर कुछ देर ढक कर रखें उसके बाद गुनगुना रहने पर उसमे शहद मिलाकर पीएं। खाने के छौंक में भी धनिया के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। हरे धनिया का इस्तेमाल भी खाना बनाने और चटनी के रूप में करना चाहिए। इन्हें भी आजमाएं नियमित रूप से व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें। कैल्शियमयुक्त खाने की मात्रा बढ़ाएं। जिसमें दूध, दही, पनीर आदि को खाने में शामिल करें। आवश्यक फैटी एसिड भी खाने में शामिल किया जाना जरूरी है। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। डिब्बाबंद खाने से बचें। कैफीन की मात्रा, जैसे चाय, कॉफी और अन्य एनर्जी पेय को कम पीएं। वी एन आई

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day
Posted on 2nd Mar 2025

Connect with Social

प्रचलित खबरें

Posted on 20th Nov 2014
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india