नई दिल्ली, 28 अप्रैल (वी एन आई)। सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि यदि जम्मू एवं कश्मीर में हिंसा, पथराव बंद हो जाए और विद्यार्थी कक्षाओं में वापस लौट जाएं, तो वह सरकार से कहेगी कि वहां पैलेट गन के इस्तेमाल नहीं किए जाएं।
याचिका कर्ताओजम्मू एवं कश्मीर बार एसोसिएशन के नेताओं से हालात को सुधारने के लिए सकारात्मक सुझावों के साथ आगे आने की बात कहते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा कि यदि जम्मू एवं कश्मीर में पत्थरबाजी, हिंसा बंद होती है और विद्यार्थी कक्षाओं में वापस लौट जाते हैं तो हम सरकार से पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे।जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल बंद करने की मांग पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि हम केंद्र सरकार को पैलेट गन का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के लिए कहने के लिए तैयार हैं, लेकिन क्या आप यह भरोसा दिलवाइए कि आगे से कश्मीर में पत्थरबाजी नहीं होगी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि अगर पत्थरबाजों की ओर से इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक जवाब आता है, तब वह इस मुद्दे पर आगे फैसला लेगी. मुख्य न्यायधीश ने कहा कि जब वहां सड़के बंद हैं और पत्थरबाजी हो रही है, तो इस मुद्दे पर हम चर्चा कैसे कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर अगली सुनवाई 9 मई को करेगा
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "यदि आप संविधान के ढांचे के भीतर कुछ सुझाव देते हैं तो हम आपको भरोसा देते हैं कि बातचीत की जाएगी।सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि वह घाटी के हालात सुधारने के लिए सुझाव दें और वहां पर हिंसा को रुकवाएं. तो वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस मुद्दे पर सिर्फ मान्य पार्टियां से ही बात करेगी, ना कि अलगाववादियों के खिलाफ.
गौरतलब है कि इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा था कि वो उग्र प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए जल्द ही एक सीक्रेट वेपन का इस्तेमाल शुरू करने वाली है. इसे पैलेट गन के पहले इस्तेमाल में लाया जाएगा. केंद्र सरकार के मुताबिक बदबूदार पानी, लेज़र डेज़लर और तेज़ आवाज़ करने वाली मशीनों का भी प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं होता है. इसलिए मजबूरी में आखिरी विकल्प के तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है.
सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि राज्य में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए पैलेट गन को अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जम्मू कश्मीर में होने वाला प्रदर्शन दिल्ली में जंतर-मंतर पे होने वाला शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन नहीं है. प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड, पेट्रोल बम, मॉकटेल बम से हमला करते हैं, भीड़ में छुप कर पीछे से सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंकते हैं. सरकारी और निजी सम्पति को नुकसान पहुंचाया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे थे. कोर्ट ने पूछा था कि पैलेट गन के अलावा क्या कोई और विकल्प हो सकता है? याचिकाकर्ता को ये भी बताना था कि आखिर हालात बेहतर बनाने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है.
आपको बता दें कि घाटी में लगातार पत्थरबाजी की घटनाएं होती रहती हैं. पत्थरबाजी में कई दफा जवानों के घायल होने की भी खबर आती है. हालांकि सेना के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाली पैलेट गन पर भी कई बार सवाल खड़े किये जा चुके हैं