नई दिल्ली,7 जुलाई ( अनुपमाजैन/वीएनआई)लखनऊ के ऐशबाग इलाके में आज एक नया नजारा था.सैक़ड़ो के संख्या मे बुर्का नशीं महिलाओ ने इस मस्जिद मे प्रवेश किया और 300 पुरानी ईदगाह में आज एक नया इतिहास रचा गया.पहली बार इतनी बड़ी तादाद मे महिलाओं ने यहा नमाज पढ़कर ेक नया इतिहास रचा .धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश को लेकर छिड़ी बहस के बीच ऐशबाग ईदगाह में पहली बार औरतों के ईद की नमाज अदा करने के लिये अलग से इंतजाम किया गया था ।इसमें तकरीबन पांच हजार महिलाएं शामिल हुईं.
ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि इस बार ऐशबाग ईदगाह में औरतों के लिये ईद की नमाज का खास इंतजाम किया गया । ऐसा पहली बार किया गया है। ईदगाह में पुरषों के साथ-साथ पहली बार बड़ी संख्या में महिलाएं भी ईद की नमाज अदा की।
उन्होंने कहा कि दरअसल ईदगाह के दरवाजे पहले भी महिलाओं के लिये बंद नहीं थे, लेकिन पूर्व में उनके लिये नमाज का इतने बडे पैमाने पर अलग इंतजाम नहीं किया जाता था। इस बार विशेष प्रबन्ध की वजह से बड़ी संख्या में महिलाएं ईदगाह में नमाज पढी.नमाज पढने आयी अनेक महिलाओ ने इस पहल का स्वागत किया.इनमेसे कुछ बुजुर्ग महिलाये भी थी जो बचपन मे इस ईदगाह मे नमाज पढने के लिये आती थी लेकिन उसके बाद अब उम्र के इस मोड़ पर ही उन्हे यहा आ कर नमाज पढने का मौका मिला.
ईदगाह प्रबन्ध कमेटी का यह फैसला ऐसे वक्त में खासा महत्वपूर्ण है, जब देश में धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के जाने को लेकर बहस हो रही है। महाराष्ट्र के शनि सिंघनापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ आंदोलन के बाद वहां सदियों पुरानी परम्परा टूटी है और गत अप्रैल माह में पहली बार महिलाओं को भी मंदिर में दाखिल होने की इजाजत दी गयी । मुबंई स्थित हाजी अली दरगाह ने भी महिलाओ ने अंदर जा कर इबादत की मॉग की थी
जानकारो के अनुसार मजारों पर महिलाओं के जाने को लेकर ज्यादातर जगहों पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन आमतौर पर उन्हें मस्जिद या ईदगाह में नमाज अदा करते बहुत कम ही देखा जाता है। ऐशबाग ईदगाह में महिलाओं के लिये अलग इंतजाम की परम्परा एक प्रगतिशील कदम कहा जा सकता है।
कई महिला संगठनों ने ईदगाह के इस फैसले का स्वागत किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की पूर्व सदस्य समीना शफीक ने कहा कि महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए ये एक महत्वपूर्ण कदम है.वी एन आई