नई दिल्ली 26 नवम्बर (वीएनआई) विश्व के सबसे विस्तृत संविधान के रूप में भारतीय संविधान में मूल रूप से 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं, जिसमें लगभग 1,45,000 शब्द शामिल थे। 2015 में भारत सरकार ने संविधान के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे समर्पित एक दिन मनाने का प्रस्ताव रखा। तब से हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
26 नवंबर: संविधान दिवस का महत्व
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने संविधान को अपनाया, और यह 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। जहां 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस, या ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को संविधान के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाने का संदेश दिया और इसे भारत का “मार्गदर्शक प्रकाश” बताया।
संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य
मई 2015 में केंद्रीय कैबिनेट ने घोषणा की कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा ताकि नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सके। इस घोषणा का एक विशेष संदर्भ यह था कि 2015 में संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती भी मनाई जा रही थी।
डॉ. अंबेडकर, के.एम. मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला और अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर प्रारूप समिति के प्रमुख सदस्य थे। अंबेडकर के योगदान को सम्मान देने के लिए 2015 में सरकार ने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिनमें अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना भी शामिल थी।
संविधान का निर्माण और इसकी विशेषताएं
भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया, जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को आयोजित हुई थी। प्रारंभ में इसके 389 सदस्य थे, लेकिन विभाजन के बाद यह संख्या घटकर 299 रह गई। इस प्रक्रिया में तीन साल से अधिक का समय लगा, और 114 दिन विशेष रूप से प्रारूप पर विचार करने में व्यतीत किए गए।
संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए अन्य देशों के संविधानों से प्रेरणा ली गई और भारत की आवश्यकताओं के अनुसार इसमें संशोधन किए गए। सरकार-भारत अधिनियम, 1935 भी एक प्रमुख स्रोत था, जिसने द्विसदनीय विधायिका और प्रत्यक्ष चुनावों जैसे प्रावधानों को शामिल किया।
संविधान दिवस का संदेश
इस वर्ष, विभिन्न नेताओं ने संविधान के महत्व को रेखांकित किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने संदेश में संविधान को “सबसे कमजोर वर्गों की रक्षा का प्रभावशाली साधन” बताया। उन्होंने इस दिन संविधान सभा के सदस्यों और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।
26 नवंबर का दिन केवल एक दिन नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नींव को याद करने और उसे मजबूत करने का अवसर है। भारतीय संविधान न केवल हमारी विविधता को सम्मानित करता है, बल्कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करने की प्रेरणा भी देता है।
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