नई दिल्ली नवम्बर (वीएनआई) देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस संजीव खन्ना न्यायपालिका के महत्वपूर्ण अंग हैं। 14 मई 1960 को दिल्ली में जन्मे जस्टिस खन्ना ने अपनी शुरुआती शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से की थी। उन्होंने 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत शुरू की और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में भी प्रैक्टिस की। न्यायाधीश बनने से पहले उनका करियर बेहद प्रेरणादायक रहा है।
जस्टिस खन्ना, दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस देवराज खन्ना के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं। उनका परिवार न्यायिक क्षेत्र में लंबे समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनके चाचा जस्टिस एचआर खन्ना 1976 में आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमतिपूर्ण फैसला लिखने के बाद सुर्खियों में आए थे।
जस्टिस खन्ना ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में कदम रखा और अपनी मेहनत और ज्ञान के बल पर न्यायिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया। वह सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे और इसके अतिरिक्त, नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी और नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी भोपाल के गवर्निंग काउंसिल मेंबर भी हैं।
उनकी प्राथमिकता में लंबित मामलों की संख्या को घटाना और न्याय प्रदान करने की गति को तेज करना है। जस्टिस खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। 2019 में, उन्होंने ईवीएम में हेरफेर के संदेह को खारिज किया और बैलेट पेपर प्रणाली पर लौटने की मांग को अस्वीकार किया। इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को उन्होंने बरकरार रखा।
उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने 1 जून 2023 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले में अंतरिम जमानत दी, जो एक महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, और उनकी न्यायपालिका में भूमिका न केवल उनके परिवार की न्यायिक विरासत को आगे बढ़ाती है, बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था को और मजबूत करती है।
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