नई दिल्ली, 06 सितम्बर, (वीएनआई) भारत और अमेरिका के बीच आज पहली 2+2 वार्ता हुई जिसमें दोनों देशों ने इस वार्ता के दौरान भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाने और डिफेंस टेक्नोलॉजी से जुड़े एक सौदो को अंतिम रूप देने पर चर्चा की।
इस वार्ता में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो और रक्षा मंत्री जिम मैटीस से मुलाकात की। इससे पहले अमेरिका विदेश मंत्री माइक पोंपेयो और रक्षा मंत्री जिम मैटीस बुधवार को वार्ता के लिए भारत पहुंचे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जहां पोंपेयो को स्वागत किया तो वहीं सीतारमण ने जिम मैटीस का स्वागत किया।
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू भवन में आज वार्ता का आयोजन हुआ और वार्ता के बाद मंत्रियों की तरफ से एक ज्वॉइन्ट स्टेटमेंट भी जारी किया गया। अमेरिका के ज्वॉइन्ट चीफ्स ऑफ स्टाफ जनरल जोसेफ ड्यूनफोर्ड भी इस डेलीगेशन में शामिल हैं। इस वार्ता से अलग रक्षामंत्री सीतारमण ने मैटीस और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने पोंपेयो से अलग मुलाकात भी की। वहीं इस वार्ता के दौरान कॉमकासा यानी कम्यूनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट भी साइन किया है। इस एग्रीमेंट के साइन होते ही भारत के लिए अमेरिकी की तरफ से संवेदनशील मिलिट्री टेक्नोलॉजी और उपकरणों की खरीद का रास्ता साफ हो गया है।
वार्ता के बाद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जानकारी दी कि भारत और अमेरिका दोनों ही एनएसजी में भारत की एंट्री के लिए साथ मिलकर काम करने को राजी हुए हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगानिस्तान नीति का स्वागत करता है। दोनों देश साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वहीं पोंपेयो ने कॉमकासा को दोनों देशों के रिश्तों में एक मील का पत्थर करार दिया। अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटीस ने वार्ता के बाद कहा कि भारत और अमेरिका साथ मिलकर काम करते रहेंगे और साथ ही उन्होंने एक बार फिर से भारत को अमेरिका का सबसे बड़ी रक्षा साझीदार करार दिया।
जबकि भारत की रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा कि इस एग्रीमेंट के बाद भारत की रक्षा क्षमताओं और तैयारियों में इजाफा होगा। सीतारमण ने बताया कि वार्ता में रक्षा मुद्दा सबसे अहम मुद्दा बनकर उभरा। सीतारमण के मुताबिक भारत और अमेरिका दोनों ही देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों ही देश शांति और नागरिकों की समदृता के लिए काम करने पर राजी हुए हैं।
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