नई दिल्ली /मॉस्को 12 जुलाई (शोभना जैन,वीएनआई ) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा के लियें रूस को चुने जाना एक तरफ ्जहा द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाना रहा वहीं, वैश्विक उथल पुथल के मौजूदा दौर में युक्रेन -रूस युद्ध को ले कर पश्चिमी देशों नीत "नाटो" गठबंधन और दूसरी तरफ माना जा रहा हैं कि इस यात्रा को रूस, चीन और ईरान जैसे देशों के एक साथ आ जाने से दो धुरों में बंटी दुनिया मे भारत तटस्थ रह कर संतुलन बिठायें रखनें का संदेश दिया हैं. इस के अलवा चीन फेक्टर जैसे जटिल मुद्दें को भी साधनें की कौशिश भी इस का एक और अहम पहलू हैं बहरहाल पीएम मोदी दो दिवसीय यात्रा के बाद स्वदेश वापस आ गये हैं लेकिन यात्रा को ले कर अनेक सवाल भी पूछें जा रहे हैं कि इस यात्रा के लियें यहीं समय क्यों चुना गया जबकि वाशिंगटन में नाटों की 75 वीं ्सालगिरह मना रहा हैं, चर्चा तो इस बात की भी हुई कि रूस युक्रेन की पृ ष्ठ भूमि में पीएम मोदी ने रूस में अभिवादन स्वरूप पुतिन को गलें लगा कर क्या प्रगाढता बनी रहनें का संकेत दिया, दरअसल फ़रवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ज़्यादातर पश्चिमी देशों और नाटो के निशाने पर रहे हैं. इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने पुतिन के ख़िलाफ़ मार्च 2023 में यूक्रेन में हमले को लेकर अरेस्ट वॉरंट भी जारी किया था.
हालांकि पी एम ने वहा साफ तौर पर आतंकवाद की भर्तसना करते हुयें भारत के पुरानें स्टेंड को दोहरातें हुयें कहा कि युद्ध भारत को कतई स्वीकार्य नही हैं. भारत का यहीं स्टेंड रहा हैं कि बातचीत के जरियें समस्या का शांतिपूर्ण समाधान किया जायें और युद्ध बंद किया जाये.अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर चिंता जताई है अमरीकी रक्षा विभाग ने कहा कि इन चिंताओं के बावजूद भारत अमरीका का रणनैतिक साझीदार बना रहेगा. और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए न्यायपूर्ण शांति के प्रयासों का समर्थन करेगा.उन्होंने कहा, "हमने उन चिंताओं को निजी तौर पर भारत सरकार के साथ साझा किया है और उसे जारी रखा है. इसमें कोई बदलाव नहीं आया है."
उनका कहना है, "हम भारत से आग्रह करते हैं और करते रहेंगे कि वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के आधार पर यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और उसकी संप्रभुता को बनाए रखने के लिए यूक्रेन में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति स्थापित करने की हमारी कोशिश का समर्थन करे." अमरीका ने यह भी कहा कि "भारत और रूस के लंबे और घनिष्ठ संबंध भारत को यह क्षमता देते हैं कि वह रूस से बिना वजह छेड़े गए इस क्रूर युद्ध को ख़त्म करने का आग्रह कर सके."
रूस ने पीम मोदी की यात्रा " एतिहासिक और गेम चेंजर" बताया हैं. एक तर्क यह भी हैं कि रूस ने मोदी की यात्रा के जरियें दुनिया को यह संकेत दिया हैं कि वह इस युद्ध की वजह से अलग थलग नही पड़ा है वैसे यह दुखद इत्तफाक हैं कि मोदी कीं ं मास्कों यात्रा के दौरान ही रूस ने युक्रेन के कीव नगर में बच्चों के एक अस्पताल पर मिसायलों से बर्बर हमलें कियें जिस में ३८ से ज्यादा बच्चें और लोग मारे गयें. इस हमले के बाद युक्रेन के रष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था, "यह बहुत ही निराशाजनक है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र दुनिया के ख़ूनी अपराधी को गले लगा रहा है. वो भी तब जब यूक्रेन में बच्चों के अस्पताल पर जानलेवा हमला हुआ है." बहरहाल इस हमले बाद मोदी ने पुतिन की मौ जूदगी में किसी भी युद्ध मे मारे जाने वाले लोगों विशेष कर बच्चों की हत्याओं को अक्षम्य अपराध ्बताया था.
बहरहाल भारत-रूस संबंधों को ऐतिहासिक और प्रगाढ मित्रता वाले दो स्वतंत्र राष्ट्रो के तरह कुछ जटिलताओं के बावजूद दोनों देश एक दूसरे के "नेचुरल अलाई रहे हैं.भारत ने मोदी की इस यात्रा को सफल बताया है. रूस यात्रा पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया है, "रूस के राष्ट्रपति पुतिन से काफ़ी सकारात्मक चर्चा हुई. इसमें आपसी व्यापार, सुरक्षा, कृषि, प्रोद्यौगिकी जैसे विषयों भारत-रूस सहयोग में विविधता लाने पर चर्चा हुई." रूसने भी कहा कि दोनों नेताओं ने व्यापार और आर्थिक संबंध और बढायें जाने पर जोर दिया साथ ही अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के जरियें द्विपक्षीय भुगतान प्रणाई जारी रखने का भी फैसला किया.गौरतलब हैं कि भारत और रूस के बीच सालाना क़रीब 65 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत का निर्यात करीब 5 बिलियन डॉलर है. जो बताता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा कितना बड़ा है. ये भारत के लिए चिंता का विषय है
और अगर दोनो देशों के बीच सामरिक साझीदरी की बात करें तो विदेशी मामलें के एक वि शेषज्ञ के अनुसार यह भारत की तरफ से पश्चिमी देशों को एक संकेतहै कि वह अपनी रक्षा और अन्य ज़रूरतों के लिए पूरी तरह पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं कर सकता और अपने पुराने साथी और सामरिक सहयोगी रूस को पूरी तरह छोड़ नहीं सकता.भारत में रूस रक्षा उपकरणों के उत्पादन को लेकर सहमत हुआ है.मोदी और पुतिन की मुलाक़ात इस मायने में भी ख़ास है कि भारत अपने हथियारों की बड़ी ज़रूरत के लिए भले ही अमेरिका, इसराइल, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों पर निर्भर करता है, लेकिन वह इस मामले में रूस से दूर नहीं जाना चाहता है.'' और यात्रा से जुड़ें अहम चीन फेक्टर की बात करें तो यह यात्रा रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता से भी जुड़ी हुई है. भारत और रूस के बीच ख़ास संबंध बनाए जाने से रूस और चीन के बीच मेल-मिलाप को कम किया जा सकता है.
नाटों की बैठक से ठीक पहले भारत का रूस के साथ होना कई मायनों में अहम है. भारत ने संकेत दिया हैं कि वह रणनीतिक मामलों में फ़ैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. उस के राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं. उसकी विदेश नीति 'रणनीतिक स्वायत्तता' और 'राष्ट्रीय हित' पर आधारित है साथ ही यह भी भी सुनिश्चित हो सके कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों के बीच भी यह मजबूत बनी रहे. जिस के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलने के साथ ही अंतर राष्ट्रीय डिप्लोमेसी में भी सकारात्मक नतीजें निकले. बहरहाल फिलहाल तो यह देखना होगा कि भारत जैसे अन्य देशों की अपीलों के बाद सभी सम्बद्ध पक्ष यह खूनी खेल बंद कर पायेंगे जिस से कराहती मानवता की समस्या का बातचीत के जरियें शांतिपूर्ण हल निकाला जा सकें. समाप्त
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