वाशिंगटन,३० जनवरी(वी एन आई) अमेरिका में प्रवासियो के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर देश भर मे चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच ऐसी खबर है कि जिन सात देशो के प्रवासियो का प्रवेश सीमित करने की बात है, भविष्य में उस सूची में पाकिस्तान का नाम भी शामिल हो सकता है. व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रींस प्रीबस ने यह संकेत किया और माना कि ऐसा पहली बार है जब ऐसे देशों की श्रेणी में पाकिस्तान को शामिल करने पर विचार हुआ. गौरतलब है कि ट्रंप के शासकीय आदेश के अनुसार ईरान, इराक, लीबिया, सूडान, यमन, सीरिया और सोमालिया के नागरिकों के अमेरिका में आने पर कम से कम 90 दिनों तक प्रतिबंध होगा.
व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रींस प्रीबस ने सीबीएस न्यूज से कहा, 'ये वही सात देश हैं जिनकी पहचान कांग्रेस और ओबामा प्रशासन दोनों ने ही ऐसे देशों के रूप में की थी जहां खतरनाक आतंकवाद फलफूल रहा था.
प्रीबस ने कहा, 'अब आप उन देशों की तरफ उंगली उठा सकते हैं जहां ऐसी ही समस्या है जैसे कि पाकिस्तान एवं अन्य देश. शायद हमें इसे और आगे ले जाने की जरूरत है. परंतु फिलहाल के लिए तात्कालिक कदम यह है कि इन देशों में जाने और इनसे आने वाले लोगों की कठोरतम जांच-पड़ताल की जाएगी.’ ऐसा पहली बार है जब ट्रंप प्रशासन ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि पाकिस्तान को उस सूची में शामिल करने पर विचार हो रहा है.
फिलहाल शासकीय आदेश के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वालों की सघन जांच होगी. प्रीबस ने कहा कि इस शासकीय आदेश पर बहुत सोच विचार कर दस्तखत किए गए हैं. उन्होंने कहा, 'हम दुनिया में इसका प्रचार नहीं करने जा रहे कि हमारे देश से इन सात देशों से आने या वहां जाने वालों पर हम रोक लगाने जा रहे हैं या उनके खिलाफ आगे भी कड़ी जांच की जाएगी.'
दुनिया के सात मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों पर प्रतिबंध संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश का बचाव करते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति वही कर रहे हैं जिसका उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने एबीसी न्यूज से कहा, ‘यह कुछ भी नया नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप ने पूरे चुनाव प्रचार और सत्ता हस्तांतरण के दौरान बात की.’ स्पाइसर ने कहा कि जिन देशों के लोगों के अमेरिका में आने पर रोक लगाई गई है उनको बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान भी ‘विशेष चिंता वाले देशों’ की सूची में रखा गया था.