नई दिल्ली 10 मार्च (वीएनआई) सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा की कि पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के वफादारों के खिलाफ सैन्य अभियान पूरा हो चुका है। यह अभियान असद समर्थकों और देश के नए इस्लामी शासकों के बीच तटीय क्षेत्र में हुए संघर्षों के बाद चलाया गया था।
युद्ध निगरानी समूहों के अनुसार, इस संघर्ष में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश नागरिक शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता हसन अब्दुल गनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जारी बयान में कहा कि अब सार्वजनिक संस्थान दोबारा अपना कार्य शुरू कर सकते हैं और आवश्यक सेवाएं बहाल की जा सकती हैं।
उन्होंने कहा, "हम जीवन को सामान्य करने और सुरक्षा व स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।" साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व सरकार के बचे-खुचे तत्वों से निपटने और किसी भी भविष्य की चुनौती को समाप्त करने की योजना बनाई गई है।
सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा ने रविवार को कहा कि वह हिंसक संघर्षों के दोषियों को पकड़ने और नए शासकों की सत्ता को चुनौती देने वालों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि संघर्ष और हत्याओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जा रहा है।
सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा बल इस जांच समिति के साथ पूरा सहयोग करेंगे ताकि घटनाओं की सटीक परिस्थितियां सामने आ सकें और अन्याय के शिकार लोगों को न्याय मिल सके। अब्दुल गनी ने यह भी कहा कि उन्होंने असद शासन के बचे हुए अधिकारियों के हमलों को विफल कर दिया और उनकी योजनाओं को नाकाम कर दिया, जिससे प्रमुख क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकी।
विचारणीय है कि दिसंबर में असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद सीरिया में कुछ समय के लिए शांति रही, लेकिन हाल के दिनों में हिंसा फिर से भड़क उठी है। नए इस्लामी शासकों से जुड़े बलों ने अलवियों के बढ़ते विद्रोह को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाए, जिसके परिणामस्वरूप इस समुदाय के खिलाफ बदले की कार्रवाई भी देखी गई।
ब्रिटिश-स्थित ' सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स (जिसे SOHR के नाम से भी जाना जाता है) के अनुसार, दो दिनों तक चले इस संघर्ष में 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें 745 नागरिक, 125 सीरियाई सुरक्षाकर्मी और 148 असद समर्थक लड़ाके शामिल हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल जब सुन्नी इस्लामी समूह 'हयात तहरीर अल-शाम' के नेतृत्व में विद्रोहियों ने असद सरकार को अपदस्थ कर दिया, तो असद रूस भाग गए। यह विद्रोह दशकों की दमनकारी सत्ता और गृहयुद्ध को समाप्त करने का प्रतीक था। अब देश में अस्थिरता और बढ़ते तनाव के बीच, नए शासकों को सत्ता बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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