नई दिल्ली 17 नवम्बर (शोभना जैन , वीएनआई) अब जब कि अमरीका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड टृंप अपनी सरकार की नयी टीम का चयन और टीम की घोषणा कर रहे हैं , निश्चय ही टीम से उनके कार्यकाल की नीतियों की झलक नजर आ रही हैं. ऐसा लग रहा हैं कि ट्रंप ने कमोबेश अपने पहले कार्यकाल की नीतियों को नयी परिस्थतियों के अनुरूप अधूरे तार जोड़ने की कौशिश तो की हैं इसके लिए वो ज़्यादा स्पष्ट योजना और एक तैयार टीम के साथ अपनी नीतियों पर काम करने की तैयारी में हैं,लेकिन देश और दुनिया की नयी बदली हु ई तस्वीर के चलते टीम के तेवर कुछ आक्रामक भी माने जा रहे हैं जो नीतियों मे नजर आयेंगे.इसे ले कर भी कई सवाल हवा में तैर रहे हैं.
अभी तक भारतीय मूल के तीन सदस्यों को टृंप ने टीम मे शामिल किये जाने की घोषणा की हैं. विवेक रामास्वामी और तुलसी गबार्ड अहम चर्चित नाम हैं . तुलसी इंटेलिजेंस विभाग का डायरेक्टर बनायें जा्ने की घोषणा खासी अहम हैं . गैबार्ड, साल 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़कर स्वतंत्र राजनीति के तौर पर सक्रिय थी लेकिन टृंप के चुनाव प्रचार मे वह काफी सक्रिय रही.हो गई थींवही विवेक रामास्वामी जिन्हें टृंप ने 'देशभक्त अमेरिकी' बताया हैं . उन्हें ट्रंप ने एक्स, टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क के साथ डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएन्सी (डीओजीई) का प्रमुख बनाया है.गैबार्ड, साल 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़कर स्वतंत्र हो गई थींविवेक को ट्रंप ने वही ज़िम्मेदारी दी है, जिसकी वो वकालत करते रहे हैं. जैसे कई सरकारी विभागों और एजेंसियों को बंद करने की वकालत विवेक रामास्वामी करते रहे हैं.एलन मस्क के साथ विवेक रामास्वामी सरकार में नौकरशाही, अतिरिक्त नियम-क़ानून और 'अनावश्यक खर्चों' को रोकने के अलावा फेडरल एजेंसियों के पुनर्गठन पर काम करेंगे.ट्रंप ने इसे 'सेव अमेरिका' अभियान के लिए ज़रूरी बताया है.यह ज़िम्मेदारी मिलने पर विवेक रामास्वामी ने लिखा है- हमलोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं.विवेक को ट्रंप ने वही ज़िम्मेदारी दी है, जिसकी वो वकालत करते रहे हैं.
जाने माने खरब पति कारोबारी औरं डोनाल्ड ट्रंप को जीतानें मे अहम भूमिका निभाने वाले एलन मस्क को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार मे अहम पद पर नियुक्ति किये जाने का फैसला किया हैं.ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए एलन मस्क को 'ग्रेट एलन मस्क' कहा है लेकिन इन मनोनयन के साथ ही अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रहीं भारतीय मूल की निकी हेली को अपनी सहयोगी को अपनी नई सरकार में शामिल नही करने की की भी घोषणा की .इस के साथ ही ने कभी
अपने विश्वस्त रहे ताकतवर पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को भी अपनी नई सरकार में शामिल नहीं करने की घोषणा की है. इन फैसलों से लोगों को काफी चौंकाया हैं. एक और महत्वपूर्ण फैसलें में पिट स्मिथ को नया रक्षा मंत्री बनाये जाने का फैसला किया हैं फ्लोरिडा के सांसद माइकल वाल्ट्ज अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनेंगे और सीनेटर मार्को रूबियो को विदेश मंत्री बनाया जा रहा है.50 साल के वाॉल्ट्ज पूर्व सैन्य अधिकारी हैं और लंबे समय से ट्रंप के समर्थक रहे हैं.वो अमेरिकी कांग्रेस के लिए दोबारा चुने गए हैं. इसी तरह व्हाइट हाउस के लिए नीतियाँ बनाने वाले स्टीफ़न मिलर डिप्टी चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ पद के लिए ट्रंप की पसंद हैं. उन के सहयोगियों का दावा हैं किस्टीफ़न मिलर संभवतः ऐसे लोगों के सामूहिक निर्वासन के लिए कोई योजना बनाएंगे और अमेरिका में अवैध या वैध दोनों तरह के आप्रवासन को कम करेंगे.ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान मिलर प्रशासन की कुछ सबसे सख्त अप्रवास नीतियाँ बनाने में शामिल थे.
कड़ा रूख अपनाने के लिये चर्चित माईक हगबी को इजरायल मे अमरीकी राजदूत ्बनाये जाने का एलान हुआ हैं इ सी तरह पश्चिम एशिया के लिये अमरीका के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ का मनोनयन किया गया हैं इजरायल- इराक युद्द और और ्पश्चिम एशिया संघर्ष में अमरीका की भूमिका और इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू के साथ उस की नजदीकियों के चलते यह नियुक्ति खासी अहम मानी जा रही हैं
अगर टृंप 2-0 में भारत अमरीकी संबंधों की बात करे तो प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और टृंप के बीच दोस्ती हैं लेकिन सवाल हैं क्या इस का सकारात्मक प्रभाव द्विपक्षीय रिश्तों खास तौर पर उन के पिछले कार्यकाल मे उतार चढाव भरे रिश्तों जैसा ही रहेगा. दोनों देशों के बीच अनेक व्यापारिक मुद्दों को ले कर असहमति रही, ईरान, आव्रजन और सब्सिडी आदि ऐसे ही पेचीदा मुद्दें हैं हालांकि चीन को ले कर दोनों की एक राय हैं दूसरी तरफ रूस युक्रेन युद्ध को ले कर भारत निष्पक्ष रहा हैं वही अमरीका नीत पश्चिमी देशों को नाटों गठबंधन खुल कर युक्रेन की मदद कर रहा हैं देखना होगा कि टृंप के नेतृत्व मे उन की टीम भारत के साथ मिल कर विशेष तौर पर उलझे व्यापारिक व अन्य क्या असहमति वाले मुद्दों असहमति कैसे कम कर सकेगी
वैसे ये फैसले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के फैसले लेने की प्रक्रिया का एक शुरुआती संकेत है क्योंकि माना जा रहा हैं कि वो रिपब्लिकन पार्टी के अंदर वैचारिक मतभेदों को दूर कर रहे हैं लेकिन इन से टृंप के २-० प्रशासन के तेवर और नीतियों की झलक मिलती हैं.यह भी माना जा रहा हैं ट्रंप प्रशासन में अपने परिवार की राय पर ज्यादा भरोसा करेंगे लेकिन जैसा कि टृंप के अगले कदम के बारे मे कुछ भी निश्चित तौर पर ऑका नही जा सकता हैं वही उन के पुत्र जूनियर टृंप का कहना हैं कि उनके पिता की नजरों मे निष्ठा बहुत अहम हैं देखना होगा कि टृंप चयन के फार्मूले पर पूरा उतरी टीम के साथ बदली हुई नयी परिस्थितियों में कैसे काम करते हैं, आगे बढते हैं दुनिया भर की नजरे यह जानने को उत्सुक हैं. समाप्त