मुंबई, 11 दिसंबर (वीएनआई)| उनकी हार्दिक इच्छा बस तहे दिल से गायन करने की रही, लेकिन फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने बाद में संगीत की अपनी समझ को काफी हद तक सार्थक तरीके से फिल्म की कहानी बयां करने में इस्तेमाल किया। उन्होंने 'मकबूल', 'ओमकारा' और 'हैदर' जैसी फिल्मों में बतौर फिल्मकार अपनी छाप छोड़ी, लेकिन वह बतौर पाश्र्व गायक अपनी अलग आवाज और संगीतकार के रूप में भी जाने जाते हैं।
यह पूछे जाने पर कि वह अपनी संगीत की शक्ति का इस्तेमाल फिल्मों में कैसे करते हैं, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, मैं संगीत को हमेशा फिल्म की कहानी बयां करने के हिस्से के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करता हूं, जो उपयुक्त होती है। फिल्मों में कहानी और कुछ निश्चित परिस्थितियां संगीत का चयन करती हैं..कहानी की व्याख्या इसकी मांग करती है। उन्होंने कहा, "एक तरह से यह सीमित है, लेकिन यह वही चीज है, जिसके बारे में फिल्म संगीत है।
फिल्म में स्थिति के अनुसार संगीत की धुन चुनने का उदाहरण देते हुए विशाल ने कहा, गीत 'झेलम' की धुन, जिसे मैंने 1985 में तैयार किया था, कई सालों बाद मुझे धुन को 2014 में 'हैदर' के गीत में इस्तेमाल करने का मौका मिला। उत्तर प्रदेश के चांदपुर गांव में जन्मे विशाल बचपन में क्रिकेट, कविताओं और संगीत में रूचि रखते थे। उन्होंने राज्य स्तर पर अंडर-19 क्रिकेट में भी खेला, लेकिन एक बड़ी दुर्घटना के बाद वह फिल्मी दुनिया में आ गए। बतौर फिल्म निर्देशक 2002 में फिल्म 'मकड़ी' से उन्होंने शुरुआत की। उन्होंने 'रॉयल स्टैग बैरल सेलेक्ट एमटीवी अनप्लग्ड' के सातवें सीजन में गायक के तौर पर आगाज किया। उन्होंने फिल्म 'माचिस' के अपने गीत 'पानी पानी' को फिर से रचा है।
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