नई दिल्ली,६ जनवरी ( सुनीलकुमार/वीएनआई)चाकलेटी हीरो की छवि से अलग हट कर एक निहायत साधारण से चेहरे मोहरे वला अभिनेता और चका चौंध वाली मुंबई फिल्म नगरी से ले कर ब्रिटिश, हॉलीवुड मे अपने संवेदन्शील अभिनय से धाक जमा दे. जिने देख पर्दे पर देख व्यवस्था का शिकार शोषित सोचे कि पर्दे पर उसी का संघर्ष दिखाया जा रहा है.ऐसे थे फिल्म अभिनेता ओम पुरी, जिनके एक्टिंग के जनून ने उन्हे अभिनय के वह ख्याति दी जिसके वे हकदार थे.मुंबई में आज दिल का दौरा पड़ने से ओमपुरी का निधन हो गया.वे ६६ वर्ष के थे, उनके निधन से पूरी फिल्मी दुनिया के साथ हर और शोक व्याप्त है.
दरसल कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान नाटक में हिस्सा लेने के चलते उनकी मुलाकात पंजाबी थियेटर से जुड़े हरपाल तिवाना से हुई और इसके बाद तो जैसे उन्हें उनकी मंजिल ही मिल गई.ओमपुरी का जन्म अंबाला में 18 अक्टूबर 1950 में हुई थी.एक साधारण से परिवार मे साधारण सी शक्ल सूरत के साथ जन्मे ओमपुरी के सपने आकाश छू रहे थे. उनका पूरा नाम राजेश पुरी है. कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान नाटक में हिस्सा लेने के चलते उनकी मुलाकात पंजाबी थियेटर से जुड़े हरपाल तिवाना से क्या हुई और इसके बाद तो जैसे उन्हें उनकी मंजिल ही मिल गई
शुरुआती शिक्षा उन्होंने पंजाब के पटियाला से ली थी. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा और 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी. इसके बाद उन्होंने निजी थिएटर ग्रुप मजमा की स्थापना की थी. ओम पुरी ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से की थी. 1980 में रिलीज 'आक्रोश' उनकी पहली हिट फिल्म थी.
उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होने त्रासदी,कॉमेडी के साथ एक आम से इंसान के जिंदगी की तकलीफो संघर्ष सभी को पर्दे पर बखूबी से उतारा उन्हें कॉमेडी करने के लिए जोकर बनने की जरूरत नहीं पड़ी जैसा कि अन्य अभिनेताओं को पड़ती है. वे अपनी भाव-भंगिमाओं से, अपनी आवाज से ही कॉमेडी कर लेते थे.' जाने भी दो यारों', 'चुपके-चुपके', 'मालामाल विकली', 'चाची 420', 'आवारा पागल दीवाना', 'सिंग इज किंग', 'दुल्हन हम ले जाएंगे', 'बिल्लू चोर मचाए शोर' और 'हेरा-फेरी' सरीखी में साफ देखा जा सकता है.
वहीं 'आक्रोश', 'माचिस', 'अर्धसत्य', 'आरोहण' मंडी, मिर्च-मसाला, और 'गांधी' सरीखी फिल्मों ने उन्हें गंभीर अभिनेता के तौर पर पहचान दिलाई. कहना गलत न होगा कि वह एक स्टार नहीं, एक बड़े अभिनेता थे, जिन्होंने बॉलीवुड में कई पीढ़ियों को अभिनय करना सिखाया. दर्शको के दिलो पर राज करने के साथ उन्हे कितने ही फिल्मी पुरस्कारो, राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय पुरस्कारो से नवाजा गया.वह पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं
ओमपुरी की चर्चित फिल्मों पर एक नजर
ओम पुरी ने अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यूं आता है (1980), आक्रोश (1980), गांधी (1982), विजेता (1982), आरोहण (1982), अर्धसत्य (1983), नासूर (1985), घायल (1990), नरसिम्हा (1991), सिटी ऑफ जॉय (1992), द घोस्ट एंड द डार्कनेस (1996), माचिस (1996), चाची 420 (1997), गुप्त: द हिडन ट्रुथ (1997), मृत्युदंड (1997), प्यार तो होना ही था (1998), विनाशक – डिस्ट्रॉयर (1998), हे राम (2000), कुंवारा (2000), हेरा फेरी (2000), दुल्हन हम ले जाएंगे (2000), फर्ज (2001), गदर: एक प्रेम कथा (2001), आवारा पागल दीवाना (2002), चोर मचाये शोर (2002), मकबूल (2003), आन: मेन एट वर्क (2004), लक्ष्य (2004), युवा (2004), देव (2004), दीवाने हुए पागल (2005), रंग दे बसंती (2006), मालामाल वीकली (2006), चुप चुप के (2006), डॉन: द चेस बैगिन्स अगेन (2006), फूल एंड फाइनल (2007), मेरे बाप पहले आप (2008), किस्मत कनेक्शन (2008), सिंग इज किंग (2008), बिल्लू (2009), लंदन ड्रीम्स (2009), कुर्बान (2009), दिल्ली-6 (2009), दबंग (2010), डॉन 2: द किंग इज बैक (2011), अग्निपथ (2012), ओएमजी: ओह माय गॉड! (2012), कमाल धमाल मालामाल (2012), बजरंगी भाईजान (2015), मिस तनकपुर हाजिर हो (2015), घायल वन्स अगेन (2016), द जंगल बुक (2016) और एक्टर इन लॉ (2016).
ओमपुरी जल्द ही सलमान खान स्टारर 'ट्यूबलाइट' में भी नजर आने वाले थे.
विदा-- ओम पुरी आपकी याद जिंदगी मे हमेशा एक खालीपन का एहसास देगी