"करतारपुर वार्ता" से क्या रास्ता बनेगा?

By Shobhna Jain | Posted on 9th Mar 2019 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 09 मार्च, (शोभना जैन/वीएनआई) पुलवामा आतंकी हमले के ठीक एक माह बाद, आगामी 14 मार्च को भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर गुरूद्वारे तक गलियारा बनाने के बारे मे बातचीत होगी, जिस पर सभी की निगाहें हैं. 

तनाव के माहौल में  "आस्था" से जुड़ी  इस वार्ता के खास मायने हैं. दरअसल एक तरफ जहा इन दिनों भारत पाकिस्तान के बीच भारी तनाव चल रहा है. पाक स्थित आतंकी संगठन जैशे मोहम्मद द्वारा किये गये पुलवामा आतंकी हमले और उस के बाद के घटनाक्रम से भारत पाक सीमा पर युद्ध से हालात है.इस हमले के बाद भारत ने फिदायीन आतंकी हमले का अंदेशा भॉपते हुए पाकिस्तान  के कब्जे वाले बालाकोट में जैश के आतंकी  अडडों पर सर्जिकल स्ट्राईक की. दुनिया भर ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी गतिविधियॉ जारी रखने पर चिंता जताई, उस की भर्तसना भी की.भारत के डिप्लोमे्टिक दबाव से पाकिस्तान अंतर राष्ट्रीय जगत में अलग थलग पड़ा भी . ऐसे माहौल में जब कि  सीमा पर तनाव बरकरार है और पाकिस्तानी आतंक भी जारी है.कल ही जम्मू में एक यात्री बस पर ्भीषण आतंकी हमला हुआ और सीमा पर पाकिस्तान लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन कर रहा है. ऐसे तनातनी के  माहौल में  पहली बार आगामी 14 मार्च को दोनो देश आमने सामने होंगे, ्बातचीत करेंगे.सवाल हैं ऐसे माहौल में हो रही बातचीत  के मायने क्या हो सकते है ? क्या इस वार्ता से आगे बढने का कोई रास्ता बन सकेगा, जिस से तनाव  भी कम हो सके ?  

 निश्चित तौर पर यह वार्ता  अलग तरह की होगी.तनाव के इस माहौल में वार्ता, आतंक या सीमा पर तनाव कम करने के लिये नही, बल्कि सिख श्रद्धालुओं की आस्था  से जुड़े  करतारपुर साहिब  गलियारे ्के  तौर तरीके को  संबंधी मसौदे पर चर्चा के लिये होगी. बैठक अटारी-वाघा बार्डर (भारत की ओर का सीमा क्षेत्र) में होगी. दरअसल भारत का कहना हैं कि यह एक समुदाय की आस्था से जुड़ा मुद्दा हैं, जिस के चलते भारत इस वार्ता मे हिस्सा ले रहा है. पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव रखा और  सिखों की आस्था से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर  भारत ने  गलियारे के काम को आगे बढाने की मंशा से   इसे मंजूर तो कर लिया लेकिन वह करतार पुर वार्ता को पाकिस्तान के साथ चल रहे  तनाव वाले मुद्दों से बिल्कुल अलग रख रहा है. भारत का यही  पर  मानना  है कि  अगर पाकिस्तान भारत के साथ  विचाराधीन मुद्दों पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू करना चाहता तो उसे  सबसे पहले आतंक पर लगाम लगानी होगी' यानि "बंदूक और तोपों की गड़गड़ाहट में बातचीत नही होगी".दरअसल बालाकोट के बाद  पाकिस्तान ने निंरतर आतंक  जारी  रखने  के ्साथ ही बातचीत करने का प्रस्ताव ्दोहराया जिस पर भारत  ने एक बार फिर कड़े  और दो टूक शब्दों मे खारिज करते हुए कह ्दिया कि बातचीत तभी होगी जब कि पाकिस्तान आतंकवादियों और उन के ढॉचें  को नष्ट करने के लिये  का्र्यवाही  करने के लिये "फौरन" "विश्वसनीय" और  "ऐसे कदम उठायें जिस से साबित हो उस ने कार्यवाही की", केवल उसी स्थति में  बातचीत का माहौल बनेगा.  भारत ने पाकिस्तान को साफ तौर पर बता दिया हैं कि अगर वह आतंक के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करता है और उस को निशाना बनाता रहेगा तो वह उस के खिलाफ  आगे भी कोई  भी कड़ी कार्यवाही से नही हिचकिचायेगा. यह बात साफ हैं कि पाकिस्तान  द्वारा इन दिनो   भारत के खिलाफ सीमा पार आतंक  ्चलाने वाले आतंकी गुटों के खिलाफ कुछ कदम उठाये जाने की खबरे आ रही है,लेकिन ऐसे मे जबकि जैश के आतंकी  सरगना के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हुई हैं , यानि ऐसे कोई पुख्ता कदम नही उठाये है, जिस से लगे कि कार्यवाही हुई,हॉ,अलबत्ता अंतर रष्ट्रीय बिरादरी के दबाव के चलते ्ही उस ने लीपा पोती ही करने की कौशिश की है.ऐसे में  देखना होगा कि करतार पुर वार्ता  जैसे आस्था से जु्ड़े मुद्दे पर ्हो रही वार्ता में पाकिस्तान किस एजेंडा से आता हैं, क्या वह भारत के रूख और अंतर राष्ट्रीय दबाव के चलते  इस बार वह अपने पुराने बेभरोसे वाले  रवैयें से अलग कर आतंक से निबटने के लिये वाकई कोई पुख्ता कदम उठायेगा ?
 
 
 दरअसल इस वक्त भारत मे  जहा चुनाव होने के है वही पाकिस्तान की घरेलू राजनीति  आर्थिक खस्ताहाली व समाजिक उथल पुथल के दौर में है,इमरान खान की  अल्पमत वाली निर्वाचित  सरकार पर सेना और आई एस आई का  भारी दबाव हैं,पाकिस्तान के आतंक की धुरी  बने से अंतर राष्ट्रीय बिरादरी का उस पर दबाव है,रह रह कर वह अपने को परमाणु शक्त सम्पन्न देश होने का हैव्वा खड़ा करता हैं,जिस से दोनो देशों के बीच तनाव का माहौल और बढा हैं   पाकिस्तान द्वारा इस बातचीत की पेशकश के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि गुरू नानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर और लोगों की पवित्र गुरूद्वारा करतारपुर साहिब तक जाना सुगम बनाने की बहुप्रतिक्षित मांग को पूरा करने के मकसद से करतारपुर साहिब कारिडोर को शुरू करने के सरकार के निर्णय के अनुरूप भारत और पाकिस्तान के बीच १४ मार्च को पहली बैठक आयोजित होगी । सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव ने करतारपुर साहिब में अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। गत नवंबर में भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब कारिडोर बनाने का निर्णय किया था।.दरअसल दो दशक तक  कॉरीडोर बनाने के  ्भारत के प्रस्ताव पर नकारात्मक रूख अपनाने के बाद इस बार  पाकिस्तान ने भारत के इस प्रस्ताव को आखिरकार मान  तो लिया , जिस के तहत  भारत के पंजाब प्रांत के डेरा नानक और पाकिस्तान के दरबार साहिब करतारपुर गुरूद्वारे के बीच वीजा मुक्त गलियारा बनाया जायेगा. सिख श्रद्धालु काफी समय से इस गलियारे को बनाये ्जाने की मॉग करते आ रहे थे.करतारपुर गुरूद्वारे तक कॉरिडोर बनने के बाद श्रद्धालु खुद गुरुदासपुर जिले से करतारपुर साहिब जाकर दर्शन कर सकेंगे.यहा यह बात भी अहम हैं कि पाकिस्तान जिस तरह से ्पंजाब में भी आतंक   भड़काने  का काम करता रहा हैं,खास तौर पर पाकिस्तान से जुड़े इस सीमावर्ती  क्षेत्र मे इस के सुरक्षा संबंधी पहलुओं विशेष तौर पर खालिस्तान समर्थको को हवा दिये जाने की साजिश पर विशेष सतर्कता बरतनी होगी यानि इस गलियारें मे  काफी संभल संभल कर चलना होगा.

 पाकिस्तान ने  14 सूत्री एक समझौ्ते का प्रारूप बनाया जिस के तहत सिख शरणार्थी करतार पुर के दर्शन को जा सकेंगे. इसी प्रारूप पर अब चर्चा होने को हैं अलबत्ता गलियारे के मार्ग को ले कर दोनो के बीच असहमति के कुछ्मुद्दे है. फिलहाल सिख श्रद्धालु भारतीय सीमा के अंदर बने एक बुर्ज से दूरबीन के जरिये ही गुरूद्वारे के दर्शन करते हैं. उम्मीद है यह गुरू नानक के 350 वे प्रकाशपर्व अवसर पर इस वर्ष नवंबर तक  गलियारा तैयार हो जायेगा.वैसे पाकिस्तान ने इस बातचीत की पेशकश से पहले ही आगामी 28 मार्च  को  इस वार्ता का अगला दौर पाकिस्तान् में रखने की बात कही है, जिस पर भारत ने हामी भर दी है लेकिन काफी कुछ इस वार्ता के नतीजों और पाकिस्तान के रूख पर निर्भर  करेगा. 


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