थॉमपसन रिपोर्ट- रिपोर्ट खारिज करने की बजाय महिला अपराधों से कारगर तरीके से निबटना बेहद जरूरी

By Shobhna Jain | Posted on 1st Jul 2018 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 1 जुलाई (वीएनआई) देश की प्रमुख महिला नेताओं ने देश मे महिलाओं और मासूम बच्चियों पर बढते अपराधो पर गहरी चिंता जताते हुए कहा हैं कि सरकारें इन भयावह अपराधो को रोकने के लिये कारगर कदम नही उठा रही है. महिला नेताओं ने  कहा है कि हाल ही में जारी‘थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन’  रिपोर्ट में जिस तरह भारत को महिलाओं के लिये दुनिया भर में सब से खतरनाक देश घोषित किया गया हो, इस की सत्यता को ले कर भले ही अलग अलग मत हो लेकिन जरूरत इस बात की है कि सरकार  इस रिपोर्ट को खारिज करने की बजाय इस भयावह समस्या से गंभीरता से कारगर तरीके से निबटने के लिये कदम उठायें. उन्होने कहा हैं कि इस सहमति/ असहमति के बावजूद यह सच है कि इस रिपोर्ट से यह मुद्दा  एक बार फिर चर्चा मे आया है हालांकि दुखद है क़ी निर्भया कॉड और ऐसे ही अनेक कॉड के बाद भी इन अपराधों मे कमी नही आयी है.ऐसे कॉडों के बाद जन आक्रोष सड़कों पर उबलता है, सरकारों के साथ राजनैतिक दल भी हरकत मे आते है लेकिन अपराधो का सिलसिला थमना तो दूर और भी बढ रहा है.भारतीय महिला पत्रकारों क़ी अग्रणी एसोसियेशन इंडियन वुमेन प्रेस कोर्प्स- आई ड्ब्ल्यु पी सी द्वारा  महिलाओं पर बढते अपराधों पर यहा आयोजित एक पेनल चर्चा में कॉग्रेस् नेता प्रियंका चतुर्वेदी, ऑल इंडिया वुमेन एशोसियेशन 'एडवा' की महा सचिव मरियम ढावले और सेन्टर फॉर वुमेन्स डेवलपमेंट स्टडीज की निदेशक इंदु अग्निहोत्री ने हिस्सा लेते हुए ये मत जाहिर किया.

 आई ड्ब्ल्यु पी सी सदस्यों की चिंता के जबाव में कि  सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि  कॉग्रेस पार्टी आगामी  चुनाव मे अपने घोषणा पत्र मे इस मुद्दे को अधिक कारगर ्ढंग से निबटने के लिये समुचित कदम उठाने को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनायेगी और घोषणा पत्र को तैयार करने से पूर्व इस बारे मे महिलाओं से समुचित विचार विमर्श करेगी.सुश्री ढावले और सुश्री अग्निहोत्री ने कहा कि राजनैतिक दलों ने इस जघन्य अपराध को कारगर तरीके से निबटने मे ईच्छा शक्ति नही दिखाई है. सुश्री चतुर्वेदी ने कहा कि आखिर केन्द्र सरकार 'धारणाओ' की आड ले कर इस रिपोर्ट से क्यों पल्ला झाड़ रही है जब कि हकीकत यही है कि  उस का पूरा ध्यान  धारणाओं के बल पर ही अपनी छवि बनाने मे रहता है. उन्होने कहा कि यह  सरकार महिला अपराधों से निबटने मेपूरी तरह से असफल रही है.मंदसौर की  जघन्य घटना  पर  सत्तारूढ भाजपा विधायक का बर्ताव इस का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को खारिज करने की बजाय महिला अपराधों से पूरी कारगरता से निबटने पर ध्यान देना चाहिये.सुश्री ढवले ने भी कहा कि रिपोर्ट से यह तो हुआ है कि इस मुद्दे पर फिर से एक बार  चर्चा हुई है. उन्होने इस संबंध मे बने कानून को प्रभावी ्ढंग से लागू करने पर ्जोर देते हुए कहा कि हालत है कि भले ही इस बारे मे कानून बन गये हो लेकिन कानून लागू करने वालो को ही इन नये कानूनो का ज्ञान नही है.उदाहरण देते हुए उन्हों ने कहा कि एक सुदूर क्षेत्र के एक वरिष्ठ पुलिस कर्मी पूछ रहे थे कि आखिर पोस्को कानून कौन सा है.इसी तरह कानूनों को लागू करने में जो ढील दी जाती है वो इस बात से समझी जा सकती है कि एक स्थान पर बलात्कार शिकार एक पीडिता बच्ची के घर के सामने से  ही बलात्कारी ने अपनी बरात निकाली. आखिर उस बच्ची पर तब क्या गुजरई होगी इस स्थति को आखिर क्या कहा जाये. सुश्री अग्निहोत्री ने कहा कि उन की राय मे यह रिपोर्ट पश्चिमी नजरिये से भारत को देखने कानतीजा है बहरहाल महिला संगठन दशको से इन समस्याओं पर अपनी आवाज उठाते रहे है लेकिन सरकारे दर सरकारे इस बारे मे  कुछ खास कारगर कदम नही उठा सकी है.

गौरतलब है कि हाल ही में ‘थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन’ द्वारा जारी इस रिपोर्ट को हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ्सिरे से  को खारिज कर दिया है. मंत्रालय  ने कहा कि रिपोर्ट के लिए कोई डाटा सुनिश्चित नहीं किया गया है. मंत्रालय ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट केवल धारणाओं पर आधारित हैं.महिला आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी कहा कि इस रिपोर्ट में भारत के सन्दर्भ में जो बात की गई है वो किसी रिपोर्ट या डेटा पर आधारित नहीं बल्कि एक सर्वेक्षण पर आधारित है.समाप्त


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