नई दिल्ली, 06 मई, (वीएनआई) वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के एक बार फिर से भारत में दूसरी लहर के रूप में आतंक मचाये जाने से एक तरफ जहाँ देश में चारों ओर कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से असहाय केंद्र और राज्य सरकारों के पास ऐसा लगता हैं कि इस बारें में अभी तक ऐसी कोई ठोस कार्य योजना नहीं है, जबकि इस पर विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट और देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस इस संबंध में अपनी चिंता जताई है. भारतीय राजस्व सेवा के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी एवं पूर्व प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर इनकम टैक्स, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ डॉक्टर आर. के. पालीवाल के अनुसार इस कठिन दौर में देश के कई प्रतिष्ठित अनुभवी चिकित्सकों और जमीनी कार्य करने वाले समाजसेवियों के साथ गहन विचार विमर्श के बाद उन सभी ने मिल कर कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए पॉच सूत्री कार्य योजना बनाई है जिसे राष्ट्रीय कोरोना नियंत्रण मिशन " नाम दिया है, इस में खास तौर पर कोरोना के भयावह फैलाव से फिलहाल चरमराती स्वास्थय सेवाओं को कारगर और गुणवत्तापूर्ण बनाये जानें के लियें व्यापक सुझाव दियें है. उन्होंने बताया कि उन्हें विश्वास हैं कि इस कार्य योजना को लागू कियें जाने से भविष्य में ऐसी स्थति से भी निबटनें में मदद मिलेगी.
गौरतलब है देश के कई राज्यों में इस समय लॉक डाउन और कोरोना के प्रसार के भय के कारण देश की लगभग 100 करोड़ आबादी घरों में कैद है। कोरोना की दूसरी लहर पहली की तुलना में कई गुणा तेजी से फैली है। इस लिहाज़ से कोरोना की वर्तमान दूसरी लहर का पहली लहर जितना लंबा चलना देश के लिए बेहद खतरनाक है, वहींन/न केवल दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थय सेवायें चरमरा गई हैं, यहीं नहीं छोटे शहरों और गांवों के हालात तो और भी बदतर हैं, जहां स्वास्थ सुविधाएं नहीं के बराबर हैं। ऐसे में इस कार्य योजना के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को एक साझा "राष्ट्रीय कोराेना नियंत्रण मिशन" बनाकर अविलंब युद्ध स्तर पर कार्य करना चाहिए, जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के साथ साथ नगर निगमों, नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों एवम समाजसेवी व्यक्तियों और संस्थाओं को साथ लेकर कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करना होगा।
श्री पालीवाल के अनुसार राष्ट्रीय कोरोना नियंत्रण मिशन की कार्य योजना के पांच महत्वपूर्ण दायित्व.....
देश की स्वास्थ व्यवस्था पर अतिरिक्त भार आने से स्वास्थ व्यवस्था एकदम चरमराई हुई है, सभी नागरिकों को नजदीकी स्वास्थ केन्द्र पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करना। जिसमे जिला स्तर पर बड़े कॉलेजों और खुली जगह वाले बड़े इंस्टिट्यूट आदि को अस्थाई तौर पर कोविड क्वारेंटाईन सुविधा और कोविड स्पेशल अस्पतालों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिससे बाकी अस्पताल दूसरी घातक बीमारियों पर ध्यान दे सकें।इस समय देश की स्वास्थ व्यवस्था पर अतिरिक्त भार आने से स्वास्थ व्यवस्था एकदम चरमराई हुई है। इसे अविलंब दुरुस्त करने के लिए निम्न प्रभावी कदम तुरंत उठाए जाने चाहिऐं...
ग्रामीण स्वास्थ व्यवस्था की स्थति स्तिथि सुधारने के लिए ग्राम स्तर पर प्राइमरी स्कूल या पंचायत भवन को अस्थाई क्वारेंटाइन केन्द्र/अस्पताल की तरह उपयोग में लिया जाना चाहिए, जिससे हल्के इन्फेक्सन वाले लोगों का उपचार गांव में ही किया जा सके और गांव के स्वस्थ लोगों में रोग नहीं फैले।। इसके सुचारू संचालन के लिए लिए ग्रामीण आंगनवाड़ी/स्वास्थ्य कर्मियों को प्राइमरी ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
ब्लॉक एवम तहसील स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मीडियम इन्फेक्शन लेवल के मरीजों के इलाज के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इन केंद्रों को, सी टी स्कैन सुविधा, टेस्टिंग सुविधा और ऑक्सीजन एवम जीवन रक्षक दवाओं आदि की जरूरी सुविधाओं से अपग्रेड किया जाना चाहिए जिससे ग्रामीण इलाकों के मरीजों और उनके तीमारदारों को शहरों और महानगरों की तरफ़ न भागना पड़े और शहरों एवम महानगरों के बड़े अस्पतालों में भीड़ नहीं बढ़े।।
जिला स्तर पर बड़े अहाते वाले कॉलेजों और खुली जगह वाले बड़े इंस्टिट्यूट आदि को अस्थाई तौर पर कोविड क्वारेंटाईन सुविधा और कोविड स्पेशल अस्पतालों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए जिससे बाकी अस्पताल दूसरी घातक बीमारियों पर ध्यान दे सकें।
स्वास्थ केंद्रों और अस्पतालों में मरीजों की बढ़ी संख्या के मद्देनजर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ बढ़ाने के लिए सभी बेरोजगार नर्सों और डाक्टरों को एक साल की अस्थाई सेवा में लिया जाना चाहिए और यह कार्य केवल डिग्री के आधार पर बिना किसी अतिरिक्त परीक्षा के किया जा सकता है। ऐसे लोगों को उनके गृह नगर या नजदीकी जिलों में नियुक्ति दी जानी चाहिए जिससे वे तुरंत कार्य शुरु कर सकें।
अन्य सूत्रों में स्वस्थ लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होम की सुविधाएं उपलब्ध कराना जिससे घर पर बेरोजगार बैठे लोगों को अपनी आजीविका चलाने में मदद मिले और वे देश की अर्थ व्यवस्था में योगदान कर सकें। केन्द्र और राज्य सरकार को लैपटॉप और फ्री इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे आधिकांश कर्मचारी अपने घर से काम कर सकते हैं। ई बैंकिंग, ई मार्केटिग और होम डिलीवरी प्रोवाइडर्स को आयकर आदि की छूट दी जानी चाहिए जिससे उन्हें बढ़ावा मिले।
देश में अधिक से अधिक नागरिकों और समाजसेवी संस्थाओं को कोरोना वोलंटियर बनने और आयकरदाताओ एवम बडी कंपनियों को कोरोना रोकने के प्रयास के लिए आर्थिक सहायता करने के लिए प्रेरित करना। एनएसएस और एनसीसी के कैडेट्स को भी जनसेवा के कार्यों की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही साथ सीएसआर फंड का कम से कम पचास प्रतिशत उपयोग कोरोना नियंत्रण कार्यों के लिए रिजर्व किया जा सकता है।
इस के साथ ही लॉकडाउन आदि के उल्लंघन के दोषियों के खिलाफ उचित कार्यवाही सुनिश्चित कराना। लॉकडाउन का पालन करने के लिए पुलिस बल की स्पेशल ऑन लाईन ट्रेनिंग आवश्यक है जिससे एक तरफ़ वे मजबूरी में बाहर निकले लोगों की सहायता करने में रुचि दिखाएं और दूसरी तरफ बेवजह कानून का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती से निबटें। कोरोना कानूनों के उल्लंघन करने वालों को जेल भेजने या जुर्माना लगाने की बजाए 15 दिन कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जानी चाहिए।
कोरोना से बचाव के बारे में व्यापक स्तर पर जन जागरुकता अभियान चलाना जिसमे सरकार के साथ साथ सब नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करनी है. जिससे कोरोना के प्रसार को यथाशीघ्र रोका जा सके। दूरदर्शन, रेडियो, अखबारों, लोकल टीवी चैनल और सोशल मिडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कोरोना से बचाव के लिए व्यापक जन जागरुकता अभियान चलाना।
श्री पालीवाल कहते हैं 'राष्ट्रीय कोरोना नियंत्रण मिशन को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने व्यापक आर्थिक एवम मानव संसाधन एक साल के लिए मिशन के कार्यों को समर्पित करे। तभी इस तरह के प्रयास से देश की बडी आबादी को कोरोना जैसी महामारी पर नियंत्रण कर बचाया जा सकता है। वी एन आई