नई दिल्ली, 29 जुलाई, (वीएनआई) राजधानी दिल्ली में बीते बुधवार को लोधी रोड स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, कमला देवी कॉम्प्लेक्स में आयोजित स्त्री शक्ति महोत्सव में हिंदी की प्रख्यात लेखिका अलका सरावगी को दयावती मोदी स्त्री शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया।
भारत की आजादी के 75 वर्षों में महिलाओं के योगदान का जश्न के रूप में आयोजित स्त्री शक्ति महोत्सव में मुख्य अतिथि माननीय डॉ. कर्ण सिंह सहित हिन्दी की प्रख्यात लेखिका अलका सरावगी सहित हिन्दी की ख्याति प्राप्त लेखिका चित्रा मुद्गल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर लेखिका अलका सरावगी की वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित स्वतंत्र भारत की प्रमुख महिला लेखकों की लघु कथाओं का संग्रह उनकी संपादित पुस्तक, 'तेरह हलफ़ानाम' डॉ. कर्ण सिंह द्वारा लॉन्च किया गया था। साथ ही उन्हें दयावती मोदी स्त्री शक्ति सम्मान (1998 में स्थापित) इक्कीसवीं पुरस्कार की विजेता भी घोषित किया गया।
इससे पहले अलका सरावगी को उनके पहले उपन्यास 'कलिकाथा वाया बायपास' के लिए 2001 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था और फ्रेंच में एडिशन गैलीमार्ड, जर्मन में इनसेल वेरलाग, इतालवी में नेरी पॉज़ा और स्पेनिश में सिरुएला द्वारा प्रकाशित किया गया था। उनके नाम अबतक छह उपन्यास हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा “उन्हें दिए गए प्रत्येक पुरस्कार ने एक लेखक के रूप में उनकी यात्रा को साख दी है और उन्हें प्रेरित किया है। महिलाएं हर क्षेत्र में शक्ति का प्रतीक हो सकती हैं, और यूटोपियन सद्भाव तभी संभव है जब समाज इसे महसूस करेगा।"
इसके आलावा कार्यक्रम में असली लेखक कौन है? विदुषी विद्योत्तमा या महाकवि कालिदास? डॉ कमल के मिश्रा द्वारा, डॉ करण सिंह द्वारा फारवर्ड के साथ, डॉ सत्यव्रत शास्त्री द्वारा परिचय, डॉ सत्यव्रत शास्त्री द्वारा प्रस्तावना और रेखा मोदी द्वारा समर्थित और डॉ शोवना नारायण द्वारा अंग्रेजी ट्रांस-क्रिएशन; स्त्री शक्ति द्वारा कमीशन किए गए इस पथप्रदर्शक शोध का कवर जारी किया गया। जिसे 2023 में मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशिंग हाउस द्वारा हिंदी और अंग्रेजी में शोध प्रकाशित किया जाएगा। इधर, हिंदी में पहली बार अनीता देसाई, महाश्वेता देवी, कुर्रतुलैन हैदर, इंद्र गोस्वामी, इस्मत चुगताई, कृष्णा सोबती, चित्रा मुद्गल, विश्वप्रिया अयंगर, अंजलि खंडवाला, कमला दास, टी. जानकी रानी, उर्मिला पवार और वेदिही की कहानियाँ। इसके आलावा पहला जेंडर इन्फ्लुएंसर पुरस्कार युवा देवांश सराफ को उनकी लघु फिल्म एक्स या वाई के लिए दिया गया था।
स्त्री शक्ति - द पैरेलल फोर्स की संस्थापक और अध्यक्ष रेखा मोदी ने इस अवसर पर कहा, महिलाओं का सशक्तिकरण सभी सार्वभौमिक बीमारियों के लिए रामबाण है। महिला साहित्य महिलाओं की चिंताओं, चुनौतियों और महत्वाकांक्षाओं को समझने की कुंजी है। इक्कीसवीं सदी में, महाकवि कालिदास के कार्यों को लिंग के नजरिए से देखा जा रहा है।
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