नई दिल्ली, 02 मार्च, (शोभना जैन/वीएनआई) अब जबकि भारत के कड़े और दृढ कूटनीतिक तेवर के चलते, अंतरराष्ट्रीय द्बाव के कारण विश्व बिरादरी से अलग थलग पड़ जाने की छटपहाट से घबराये ,पाकिस्तान ने भारत के जॉबाज विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान को भारत को बिना किसी शर्त वापस सौंप दिया है, खास तौर पर ऐसे में जब कि भारत ने साफ तौर पर कह दिया था कि वह पाकिस्तान के साथ विंग कमांडर की रिहाई के बदले वह कोई "डील" कतई नही करेगा, और हमें अपने पायलट की तुरंत वापसी चाहिए. निश्चय ही इस वापसी के खास अर्थ है.इस के साथ ही भारत ने पाकिस्तान द्वारा निरंतर आतंक जारी रखने के माहौल में उस के साथ बातचीत करने के नये प्रस्ताव को कड़े और दो टूक शब्दों मे खारिज करते हुए कह ्दिया हैं कि बातचीत तभी होगी जब कि पाकिस्तान आतंकवादियों और उन के ढॉचें को नष्ट करने के लिये का्र्यवाही करने के लिये "फौरन" "विश्वसनीय" और "ऐसे कदम उठायें जिस से साबित हो उस ने कार्यवाही की", केवल उसी स्थति में बातचीत का माहौल बनेगा. दर असल भारत ने पाकिस्तान को साफ तौर पर बता दिया हैं कि अगर वह आतंक के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करता है और उस को निशाना बनाता रहेगा तो वह उस के खिलाफ आगे भी कोई भी कड़ी कार्यवाही से नही हिचकिचायेगा.
तमाम खुले पुख्ता स्बूतों के बावजूद हालांकि पाकिस्तान अभी तक बेधडक हो कर इस बात से साफ इंकार करता रहा हैं कि वह आतंक से जुड़ा है, सीमा पार से आतंकी गतिविधियॉ चलाता है .एक तरफ जहा भारत पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक द्बाव बढाते हुए ठोस सबूतों के साथ विश्व बिरादरी मे चीन जैसे देशों और इस्लामी देशों के ताकतवर संगठन ओआईसी जैसे संगठन से यह ्स्वीकार करवाने में कामयाब रहा है क़ि पाकिस्तान ्क्षेत्र मे आतंक की धुरी है, इस का न/न केवल भारत की शांति ,सुरक्षा बल्कि समूचे क्षेत्र की शांति सुरक्षा, स्थिरता बल्कि दुनिया भर की शांति सुरक्षा जुड़ी हुई है. यही वजह रही कि दुनिया ने पाक आतंक का चेहरा एक नयी समझ से समझा और परमाणु शक्ति सम्पन्न दोनों देशों के बीच तनाव के उग्र रूप ले लेने के अंदेशे ने अमरीका, रूस, फ्रांस, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात ,पी ५ देशों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे सशक्त मंच ने आंतक के शिकार भारत की तकलीफ समझी और पाकिस्तान पर दबाव बनाया. जाहिर हैं ऐसे में अब यह जिम्मेवारी पाकिस्तान की है कि वह आतंक पर ्लगाम लगाये,जिस से वह न/न केवल भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिये "दो कदम" भले ही न/न सही 'पहला कदम' उठाने की शु्रूआत तो करे जैसा कि इमरान खान ने गद्दी संभाते ही कहा था, क्षेत्र मे शांति स्थापित होगी और साथ ही इस से ्पाकिस्तान अपने सीमित संसाधन देश की आर्थिक खस्ताहाल स्थति पर भी लगा कर आपनी हालत सुधार सकेगा.
दरसल हाल के घटना क्रम से पाकिस्तान अंतर राष्ट्रीय बिरादरी में अपने आतंकी चेहरे को ले कर बुरी तरह से बेनकाब हुआ है, भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकी गतिविधियॉ चलाने,न/न केवल पुलवामा आतंकी हमले की जिमीवारी लेने वाले पाक स्थित जैश-ए- मोहम्मद के खिलाफ तमाम सबूत के बावजूद उस ने कोई कार्यवाही नही की बल्कि पाक स्थित कितने ही आतंकी संगठन पाकिस्तानी सेना और उस की गुप्तचर एजेंसी आई एस आई की मिली भगत से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियॉ चलाते रहे हैं. भारत ने हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान को उस की आतंकी गतिविधियों के पुख्ता सबूत बतौर डोजियर भेजा है ताकि पाक प्रधान मंत्री कार्यवाही करने के अपनी बात को अमली जामा पहनाने के लिये, अपने वचन के मु्ताबिक कुछ तो कदम उठा्ये. दरअसल भारत ्ने अपने रवैये से साफ कर दिया कि अगर पाकिस्तान की मंशा हैं कि वह विंग कमांडर की रिहाई के जरिये भारत पर दबाव बनायेगा और १९९९ के कांधार विमान अपहरण क़ॉ्ड जैसा दबाव बना कर भारत से कोई सौदे बाजी कर लेगा तो भारत के कूटनीतिक दबाव के चलते इस बार उस का दॉव उल्टा गया. विंग कमांडर अभिनंदन बिना किसी शर्त के भारत लौटे और साथ ही पाकिस्तान के आतंक में लिप्त होने तक उस के साथ किसी प्रकार बातचीत के उस के प्रस्ताव को भी उस ने खास तौर पर खारिज कर दिया. दरआसल पाकिस्तान का आतंकी चेहरा अब इस कदर बेनकाब हो चुका है कि ५७ मुस्लिम देशों के ताकतवर संगठन ओआईसी मे जिस तरह से पहली बार भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को न्यौता भेजा, उस से पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया और इस संस्था का संस्थापक सदस्य होने के नाते उस ने श्रीमति स्वराज की मौजूदगी में सम्मेलन मे विरोध स्वरूप हिस्सा ही नही लिया. पाकि्स्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान का हालांकि यही कहना था कि पाकिस्तान जिम्मेदार तरीके से कार्य करना चाहता हैं और उस ने विंग कमांडर को शांति के कदम के रूप में रिहा करने का कदम उठाया है. लेकिन जाहिर है कि विंग कमांडर की रिहाई दोनो पक्षों के बीच का कोई मुद्दा था ही नही , उन की रिहाई अंतर राष्ट्रीय नियमों का पालन था और भारत के कड़े रूख और अंतर राष्ट्रीय दबाव के चलते उसे इन नियमों का पलन करना पड़ा और विंग़ कमांडर को रिहा करना ही पड़ा अन्यथा दोनो देशों के बीच तनाव और बढता जो वैसे भी पाकिस्तान के सीमा पार से आतंकी गतिविधियोंको चलाने और सीमा पर युद्ध विराम के निरंतर उल्लंघन जैसी शत्रुतापूर्ण गतिविधियॉ बढा देने से पहले से ही बढा हुआ था और इन युद्ध जैसे हालत के और उग्र रूप ले कर युद्ध का रूप ले लेने का अंदेशा था.
बेहद तनातनी के माहौल में विंग कमांडर की रिहाई पाकिस्तान के लिये एक मौका है,जरूरी होगा कि वह अब जैश जैसे आतंकी संगठन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे, सीमापार से आतंकी गतिविविधियों पर लगाम लगाये.बातचीत सुलह सफाई के रास्ते तभी बनेंगे और अब तक तो वह समझ भी चुका हैं कि आतंक को ले वह दुनिया भर में अलग थलग पड़ गया है. साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)
No comments found. Be a first comment here!