बीजिंग, 4 दिसंबर (सरिताबरारा/वीएनआई) जहां हमारे देश की न्याय व्यवस्था मैं लंबित मामलों की बढ़ती संख्यां एक बढ़ी समस्या है वहीँ पर चीन मैं न्यायिक सुधारों के बावजूद न्यायधीशों पर काम का बढ़ता बोझ और कम तन्खाह, नौकरशाही की दखल अंदाज़ी और भरी बोझ के चलते न्यायाधीशों मैं अपने पेशे के प्रति विमुखता देखने मैं आयी है. इसकी वजह से पिछले कुछ सालों मैं वहां पर न्यायधीशों की संख्यां में कमी आयी है . लेकिन चीन ने इसका हल निकाल लिया है. दरासल अब आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के ज़रिये वहां की न्यायिक प्रणाली को चुस्त दरुस्त करने और मामलों के तेज़ी से निबटारे के लिए बिग डाटा और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू हो गया है .
चीन के कुइज़ाओ प्रान्त में वहां की "बिग डाटा कंपनी" ने एक प्रायोगिक परियोजना के तहत स्मार्ट 'असिस्टेंट्स तैयार' किये हैं जो न्यायधीशों के काम मैं मददगार हो रहें हैं . बस अब न्यायधीशों के बटन दबाने भर की देर होगी और वह किसी भी मामले के बारे जो भी जानकारी हासिल करना चाहेगें, उन्हे आनन फानन में कंप्यूटर पर उनके सामने होगी. मसलन मामले के दोनों पक्षों के बारे में जानकारी, ऐसे मामलों मैं पहले क्या निर्णय लिए गए थे या और भी जो तथ्य उस मामलें से जुड़े हों. सिर्फ न्यायधीश ही नहीं मुकदमा करने वालों को भी अंदाज़ा हो सकेगा की वह मुक़दमा जीत पायेगा या नहीं . जैसे किसी दुर्घटना के मामले में नाम और जेंडर के एंटर करते ही पुलिस महकमे, बीमा कंपनी ,लाइसेंस , उनके बारे मैं सरकारी महकमे मैं उलब्ध रिकॉर्ड , मुकदमे से जुड़े व्यक्तियों का सामाजिक और आर्थिक लेखा जोखा सब वे सॉफ्ट वेयर के ज़रिये जान पाएंगे. ऐसे मामलों मैं दंड या मुआवज़ा क्या हो सकता है , इसके बारे में भी दोनों पक्ष अंदाज लगा पाएंगे .
कुइज़ाओ बिग डाटा कंपनी के जनरल मैनेजर ने हाल ही में कुइयांग मैं भारतीय पत्रकारों के एक दल को बताया की इस तरह के मामलों में मुक़दमा करने वालों को इस बात का अंदाज़ा हो पायेगा की उनके मामले मैं क्या निर्णय आ सकता है .उनके अनुसार आने वाले समय मैं वकीलों के लिए भी इस तरह की आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यानी सॉफ्टवेयर के ज़रिये की मदद की जा सकती है . उनका कहना था की चीन के चार अन्य प्रान्त भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का फायदा उठा रहें हैं . कुछ समाचार रिपोर्टों के अनुसार चीन के 9 प्रांतीय क्षेत्रों के कुछ स्थानीय अदालतों मैं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोट के इस्तेमाल से लोग न्यायिक प्रक्रिया के बारे मैं जानकारी हासिल कर सकेगें. कुछ पश्चिमी देश पहले से ही न्यायिक व्यवस्था में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शुरू कर चुके हैं .
हमारे देश मैं 3.3 करोड़ से भी ज़्यादा मामले विभिन अदालतों में लंबित पड़े हैं. हमारा देश सूचना तकनीकी, खासकर सॉफ्ट वेयर के मामले में विश्व में अग्रणी देशों में से एक है . पर अभी तक न्यायिक प्रणाली में कोई खास पहल नहीं हो पाई है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के न्यायिक प्रणाली में इस्तेमाल से शायद वर्षों से लंबित पड़े मामलों को जल्द निबटाने में मदद मिल सकेगी . आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा जानकारी प्राप्त करना और विश्लेषण तो किया जा सकता है और वे इंसान की बुद्धिमता की जगह तो नहीं ले सकता पर न्यायिक प्रक्रिया को आसान और मामलों के जल्द निबटारे में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है बशर्ते उसका गलत इस्तेमाल ना हो.
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