संयुक्त राष्ट्र/नईदिल्ली,6 अक्टूबर (शोभनाजैन/वीएनआई) भारत ने संयुक्त राष्ट्र विशेष रूप से सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली की तीखी आलोचना करते हुए इसमे व्यापक सुधारो पर बल देते हुए कहा है कि परिषद आज के दौर की जरूरतो और चुनौतियो से निबटने मे प्रभावी नही रही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा मे भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने पाक आतंकी अजहर मसूद को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकियो के सूची मे डाले जाने के प्रस्ताव पर परिषद द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नही किये जाने की परोक्ष रूप से चर्चा करते हुए इस पर नाराजगी जताते हुए परिषद की कार्यप्रणाली पर गहरा असंतोष व्यक्त किया. श्री अकबरुद्दीन ने कहा, '' दरअसल यह एक ऐसी संस्था बन कर रह गई है जो छह- छह महीने महज इस बात पर सोचने मे लगा देती है कि जिस आतंकी संगठन को स्वयं इस ने आतंकी घोषित किया है उसी के सरगनाओ के खिलाफ क्या यह प्रतिबंध लगा्ये'. उन्होने कहा 'कोई फैसला नही कर पाने के बाद भी वह तीन महीना और उस पर आगे विचार करने मे गुजार देती है. इसके मायने है कि नौ माह इस इंतजार मे लग जाते है कि परिषद इस बाबत आखिर क्या फैसला लेगी.गौरतलब है कि पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियॉ चला रहे आतंकी संगठन जायशे मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र आतंकी संगठन घोषित कर चुका है लेकिन इसी के सरगना आतंकी अजहर मसूद को आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को लटका रखा है .चीन दो बार आतंकी मसूद को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकियो के सूची मे डाले जाने के भारत के प्रस्ताव पर वीटो कर उस के खिलाफ कार्यवाही रूकवा चुका है.
राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा "स्पष्ट है कि आज यह ऐसा निकाय बन कर रह गई है जहा तदर्थवाद , छीना छपटी और राजनैतिक पक्षाघात का घाल मेल हावी है.उन्होने कहा " उन्होने कहा कि परिषद की इस साल १६० औपचिरक और ४०० से अधिक अनौपचरिक बैठके हो चुकी है, लेकिन सीरिया जैसे ज्वलंत मसले पर यह कोई कार्यवाही नही कर पाई, द्क्षणी सूडान के मुद्दे पर उस मे पारित प्रस्ताव को अभी तक लागू नही करवा पाया है और उत्तर कोरिया के बारे मे परिषद द्वारा प्रस्ताव की अनदेखी ही कर दी गई.उन्होने कहा "संयुक्त राष्ट्र की इस मुख्य इकाई का मकसद शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने का था लेकिन यह हमारे समय की जरूरतों को लेकर कई तरह से अनुत्तरदायी बन चुकी है और अपने समक्ष खड़ी चुनौतियों से निपटने में निष्प्रभावी है.उन्होने कहा "संयुक्त राष्ट्र की इस मुख्य इकाई का मकसद शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने का था लेकिन यह हमारे समय की जरूरतों को लेकर कई तरह से अनुत्तरदायी बन चुकी है और अपने समक्ष खड़ी चुनौतियों से निपटने में निष्प्रभावी है.''
उन्होंने आतंकवाद के मसले पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा अभी तक इस मसले पर एक समग्र नीति अख्तियार नहीं किये जाने की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया की शांति तथा सुरक्षा पर मंडरा रहे सबसे बड़े 'आतंकवाद' के खतरे से निबटने के लिये अग्रणी भूमिका निभाना तो दूर यह अभी तक इस मसले पर एक समग्र नीति तक अख्तियार नहीं कर पाया है.स्पष्ट है समन्वय की कमी है.
उन्होंने कहा कि 20 वर्षों की बातचीत के बाद भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने या उनके प्रत्यर्पण के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय मानक तय नहीं हो पाए हैं. उन्होंने कहा, ''द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देशों और समाजों के सामने सबसे बड़े खतरों में शुमार आतंकवाद की चुनौती से निपटने में नाकामी हमारे संगठन की प्रासंगिकता पर सवालिया निशान खड़े करती है.वी एन आई