नई दिल्ली,१७ जनवरी(वी एन आई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पाकिस्तान को दो-टूक शब्दो मे कहा कि यदि वह भारत से वार्ता करना चाहता है तो उसे आतंकवाद से दूर रहना होगा. भारत अकेले शांति के रास्ते पर नहीं चल सकता. प्रधान मंंत्री ने आज यहा रायसीना डायलॉग का शुभारंभ करते हुए कहा कि दक्षिण एशिया में शांतिपूर्ण रिश्ते चाहिए. उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने और पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाने के मकसद से उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान समेत सार्क देशों के नेताओं को निमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि हमको आतंक से धर्म को पृथक करना होगा. आतंक का समर्थन और निर्यात करने वाले पड़ोसियों को नजरअंदाज करने की जरूरत है.
भारत मे आयोजित दूसरे रायसीना डायलॉग में 65 देशों के 250 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. सम्मेलन में नई चुनौतियों एवं साइबर सुरक्षा सहित कई रणनीति मुद्दों पर मंथन होगा. पिछले साल मार्च में रायसीना डायलॉग के सफल आयोजन के बाद विदेश मंत्रालय 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के साथ मिलकर इस सम्मेलन के दूसरे संस्करण का आयोजन कर रहा है. इस सम्मेलन का इस वर्ष का थीम 'दि न्यू नॉर्मल: मल्टीलेटरलिज्म विद मल्टी-पोलैरिटी' है. प्रधान मंत्री ने सम्मेलन मे कड़े शब्दो मे कहा ' पाकिस्तान अगर भारत से बातचीत चाहता है तो उसे आतंकवाद से दूर होना होगा. जो लोग हिंसा, घृणा और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, हमने उन्हें अलग-थलग किया हैः पिछले ढाई साल में हमने शांति के लिए काम किया है.'
श्री मोदी ने कहा कि 2014 में भारत के लोगों ने स्पष्ट रूप से बदलाव के लिए हमको जनादेश दिया. वह केवल प्रवृत्ति में नहीं बल्कि मानसिकता में बदलाव के लिए था ताकि साहसिक निर्णय लिया जा सके. उन्होंने कहा कि सुधार तब तक पर्याप्त नहीं जब तक अर्थव्यवस्था और समाज में बदलाव न हो.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आसियान और उसके सदस्य देशों के साथ व्यापार, तकनीक, निवेश, सुरक्षा जैसे मसलों पर हमारी साझेदारी है. चीन के बारे मे पीएम मोदी ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और हमारे बीच इस बात पर सहमति बनी है कि द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए व्यापक आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत और चीन के विकास से इन दोनों के बीच ही केवल अपार मौके सृजित नहीं होंगे, बल्कि वैश्विक रूप से ऐसा संभव होगा.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा अस्वाभाविक नहीं है कि दो बड़े पड़ोसियों के बीच मतभेद नहीं हों. हम दोनों ही देशों को एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान दिखाने की जरूरत है. मौजूदा अनुभव बताता है कि यह सदी एशिया की होगी.
पीएम मोदी ने कहा कि हम भारत को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं. केवल अपने फायदे के लिए बात करना हमारी संस्कृति नहीं रही है. यूरोप के साथ हमने भारत के विकास के लिए समझौते किए. हमनें स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मदद ली. हमने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से भी विकास के लिए सहयोग पर बात की है.
'सबका साथ, सबका विकास ' केवल भारत के नहीं है बल्कि पूरे विश्व के लिए है.
गौरतलब है कि रायसीना डॉयलॉग नयी दिल्ली में आयोजित होने वाला सलाना कॉफ्रेन्स है, पिछले साल इसका आयोजन 1-3 मार्च 2016 में किया गया था. इस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री, उद्यमी व सरकारी महकमे में बैठे उच्च अधिकारी शामिल होते हैं.