सिंगापुर 4 नवंवर (अनुपमा जैन, वीएनआई) 36 के आंकड़े वाले चीन और ताइवान के राष्ट्रपतियों के बीच शनिवार को सिंगापुर में मुलाक़ात होगी. दोनों देशों के नेताओं के बीच ये पहली मुलाक़ात है.
ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार इस ऐतिहासिक मुलाक़ात का मक़सद ताइवान जलडमरूमध्य में शांति को बढ़ावा देना है, हालांकि इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे. गौरतलब है कि चीन की कम्युनिस्ट क्रांति में हारने के बाद 1949 में च्यांग काई शेक ने ताइवान भागकर अपनी सत्ता कायम की थी। तब चीन पर कम्युनिस्ट पार्टी ने नियंत्रण कर लिया था। तब से ताइवान की अपनी सरकार है लेकिन चीन उसे अपना एक अलग हुआ हिस्सा मानता है ,गौरतलब है कि गत मई मे 65 साल बाद आज पहली बार चीन-ताइवान के नेताओं की आपस मे भेंट हुई थी जब ताइवान की सत्तारूढ़ पार्टी कुओमिंतांग (केएमटी) के अध्यक्ष एरिक चू एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन के दौरे पर गये थे । उन्होने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी
ताइवान के मौजूदा राष्ट्रपति मा ईंग-चेओ के शासन में चीन के साथ रिश्ते बेहतर हुए हैं, उनकी पार्टी केएमटी को चीन समर्थक माना जाता है.राष्ट्रपति मा अधिकतम दो कार्यकालों की अवधि पूरी होने के बाद अगले साल पद छोड़ देंगे.
अमरीका ने चीन और ताइवान के राष्ट्रपतियों के बीच होने वाली इस मुलाक़ात का स्वागत किया है.व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश एर्नेस्ट ने कहा, "जलडमरूमध्य के आर-पार स्थिर और शांतिपूर्ण रिश्ते ही अमरीका के हित में हैं. ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों तरफ़ तनाव के कम करने के प्रयास में उठाए जा रहे क़दमों का हम स्वागत करते हैं."उन्होंने ्यह भी कहा कि उनकी नज़र इस बात पर भी होगी कि इस बातचीत से क्या निकल कर सामने आया है.