अमरीकी राजदूतः रोली का तिलक,राखी, सुलभ औ्र्रर स्वच्छता अभियान मे भारत अमरीकी सहयोग...

By Shobhna Jain | Posted on 13th Aug 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली,13 अगस्त शोभनाजैन,वीएनआई) भारत मे अमरीकी राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा, माथे पर भारत की स्वागत पंरपरा के अनुरूप लाल रोली का तिलक , बच्चो के साथ जमीन पर बैठ कर मुस्करा कर बतियाते ,बायो गैस से बने गैस चूल्हे पर रखी कड़ाही मे हंसते मुस्कराते हुए पा्पड़ तलने की कोशिश मे लगे ,सुलभ की महिला कार्यक्र्ताओ से राखी बंधवाते हुए,साथ ही साफ पीने का पानी और स्वच्छ भारत अभियान के लिये मिल् कर काम करने की अमरीकी प्रतिबद्धता व्यक्त करते और स्वैच्छिक संगठन सुलभ इंटरनेशनल द्वारा सस्ती टेक्नोलोजी से टॉयलेट बनाने ,जल एटीेएम और पीने का साफ पानी पीने की मुहिम को अमेजिंग'(विस्मयकारी) कह कर सराहना करते... भारतीय अमरीकी माता पिता की संतान श्री वर्मा के ये विभिन्न पहलू आज सुलभ इंटरनेशनल के मुख्यालय मे इस संस्थान की गतिविधियो को देखते हुए देखने को मिले. इस मौके पर राजदूत वर्मा ने सुलभ इंटरनेशनल की सस्ते शौचालय की तकनीक विकसित करने और विभिन्न सामाजिक कार्यों की भूरि भूरि प्रंशसा करते हुए कहा ' स्वच्छता संबंधी सस्ती ्प्रॉद्योगिकी से आम आदमी की जिंदगी कैसे बदली जा सकती है, यह देख कर बेहद अच्छा लगा, और खास तौर पर जब यह बताया जाये कि बिना ज्यादा धन राशि अथवा अत्याधुनिक तकनीक के बिना ही सिर्फ शिद्दत से बदलाव करने के जज्बे से यह सब किया जा सकता है.' सुलभ संस्थान में सस्ती शौचालय तकनीक को देखने के बाद रिचर्ड वर्मा ने कहा कि दुनिया में पूरी तरह स्वच्छता लाने में यह तकनीक कामयाब है, अच्छा होगा कि सस्ते टॉयलेट टेकनीक दुनिया भर मे अपनाई जाये. उन्होने कहा ' पीने के साफ पानी और स्वच्छता अभियान के भारत के इस अभियान को अमरीका पूरा समर्थन व सहयोग देने के लिये प्रतिबद्ध है. अमरीका की यू एस एड तथा वाश जैसे उपक्रम भारत मे इस तरह के अनेक अभियानो से सक्रियता से जुड़े है, अमरीका सुलभ के साथ पहले से ही इस क्षेत्र मे तकनीकि साझीदारी कर रहा है ,और आगे भी काम करने के लिये उत्सुक है.'इसी संदर्भ मे बस्ती शेख, जांलधर मे रहने वाले अपने ननसाल की चर्चा करते हुए राजदूत वर्मा ने कहा कि वर्ष 1974 मे जब वे अमरीका से अपनी नानी से मिलने वहां गये तो वहा फ्लश टॉयलेट नही थे लेकिन हाल ही मे राजदूत का कार्यभार संभालने के बाद जब वे जांलधर गये तो वहा हालात हैरानी लायक बेहतर हो चुके थे लेकिन निश्चित तौर पर अब भी काफी काम किया जाना बाकी है. उन्होने कहा 'अमरीका विभिन्न परियोजनाओ के जरिये भारत के साथ इन अभियानो से जु्ड़ा है और प्रधान मंत्री और उन सभी नेताओ के साथ है जो आम आदमी की जिंदगी बेहतर बनाने मे रत है' गौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले बरस की अमरीका यात्रा के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत के 'स्व्चछ भारत अभियान्' के साथ सहयोग देने की पेशकश की थी इस मौके पर रिचर्ड वर्मा ने सुलभ द्वारा हाथ से मैला साफ करने की की कुप्रथा से मुक्त कराई गयी राजस्थान से आई महिलाओं और वृंदावन से आई विधवाओं से भी मुलाकात की, जिनका सुलभ ने पुनर्वास किया है, इन्ही महिलाओ ने श्री वर्मा का तिलक लगा कर स्वागत किया था और उन्हे राखी बांधी । श्री वर्मा ने सुलभ द्वारा संचालित सुलभ पब्लिक स्कूल का भी दौरा किया और वहां पढ़ाई कर रहे मजलूम और वंचित समुदाय के बच्चों के साथ बाते की । इस दौरान अमेरिकी राजदूत ने डॉक्टर पाठक द्वारा डिजाइन और विकसित सुलभ शौचालय के तमाम मॉडलों को भी देखा। सुलभ ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के आर्सेनिक प्रभावित इलाके के पानी की सफाई के लिए भी सस्ती तकनीक विकसित की है। अमेरिकी राजदूत ने उस तकनीक को भी देखा। इस दौरान उन्होंने कुछ आर्सेनिक प्रभावित इलाके के लोगों से भी भेंट की। इस मुलाकात के दौरान उन लोगों ने इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से मिलने वाले फायदों की जानकारी भी राजदूत को दी। इस दौरान श्री वर्मा ने देश के कुछ इलाकों से आईं उन महिलाओं के रूख की भी तारीफ की, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों के खिलाफ शौचालय बनाये जाने को लेकर विद्रोह किया। अब ये महिलाएं ग्रामीण इलाकों में शौचालय और स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने को लेकर प्रेरक की भूमिका निभा रही हैं। गौरतलब है कि सुलभ के साथ देशभर में करीब 50 हजार लोग जुड़े हुए हैं। जिन्होंने करीब 13 लाख घरेलू शौचालय और सरकारी धन से 54 लाख शौचालय बनाए हैं। सुलभ के डिजाइन किए गए इन शौचालयों का रोजाना करीब डेढ़ करोड़ लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। रिचर्ड वर्मा सुलभ के शौचालय म्यूजियम में भी गए और सुलभ के वाटर एटीएम का अनुभव भी लिया। इसके साथ ही उन्होंने सुलभ शौचालयों के बाइ प्रोडक्ट के तौर पर बने बायोगैस प्लांट के काम की भी जानकारी ली, वही गैस पर पापड़ तलने के कौशिश भी की। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने बाद मे कहा 'सुलभ द्वारा किया जा रहा काम उनके लिये कार्य नही तपस्या है ,एक छोटी सी अलख प्रजल्लित ज्वाला पुंज बन प्रकाश बिखेर रही है. श्री वर्मा का स्वागत करते हुए उन्होने कहा कि और इस तप मे जो भी शामिल होता है उससे जन कल्याण की चेतना आंदोलन का रूप लेती है जिससे समाज के वंचित वर्गो, आम आदमी की जिडगी बेहतर होने के सपने को पूरा करने मे हम एक कदम और आगे बढते है.लगभग पॉच दशक से स्वच्छता अभियान और समाज के मजलूम तबके की मदद और उनके लिए योजनाएं चलाने मे जुटे डॉ पाठक को अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानित पुरस्कार मिल चुके हैं। वीएनआई

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