नीतीश कुमार ने कहा सरकार चलाना मुश्किल हो गया था

By Shobhna Jain | Posted on 26th Jul 2017 | राजनीति
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पटना, 26 जुलाई (वीएनआई)| जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आज कहा कि जितना संभव हो सका, उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करने की कोशिश की, लेकिन बीते घटनाक्रम में जो चीजें सामने आईं उसमें काम करना मुश्किल हो गया था। 

पिछले कई महीनों से महागठबंधन में विवाद चल रहा था। नीतीश के इस्तीफे के साथ ही बिहार की 20 महीने पुरानी महागठबंधन की सरकार गिर गई। महागठबंधन में नीतीश की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस शामिल थीं।

नीतीश ने कहा, मैंने इन 20 महीनों में जितना हो सका, सरकार चलाने की कोशिश की। लेकिन इस बीच जो हालात बने, जिस तरह की चीजें उभरकर सामने आईं, उसमें काम करना, नेतृत्व करना संभव नहीं रह गया था। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव प्रकरण पर नीतीश ने कहा, "हमने कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था, बल्कि उनका पक्ष मांगा था। लालू जी से बातचीत होती रही है। तेजस्वी भी मिले। मैंने कहा कि जो भी आरेाप लगे हैं, उसे 'एक्सप्लेन' कीजिए। आम जन के बीच जो अवधारणा बन रही है, उसके लिए यह जरूरी है। वो नहीं हुआ। हमारी लालू जी के साथ, राजद के साथ कोई संवादहीनता नहीं है। अब उस पर यह बात होती है कि संकट में रक्षा कीजिए। यह कोई संकट नहीं है, यह अपने आप लाया गया संकट है। कुछ भी हो उसे स्पष्ट करना चाहिए। नीतीश ने कहा, जब मुझे ऐसा लग गया कि वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में मैं तो जवाब नहीं दे सकता। मैं सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं। लेकिन सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे में कुछ बातें कही जाती हैं और मैं उस पर कहने की स्थिति में नहीं हूं तो ऐसी स्थिति में इस सरकार को चलाने का, मेरे हिसाब से कोई आधार नहीं है। नीतीश ने कहा कि उन्होंने अंतर्रात्मा की आवाज पर अपना इस्तीफा दिया है।

नीतीश ने कहा, "पूरे माहौल को देखने के बाद, मुझे लगा कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए..यह मेरे अंतर्रात्मा की आवाज है। लंबे समय से मेरे दिमाग में यह बात चल रही थी कि कोई रास्ता निकल जाए। मैंने राहुल जी से भी बात की। और आप सब जानते हैं कि उनका भी जो रुख रहा है, उसे देखते हुए..बिहार में भी जो कांग्रेस के लोग हैं, उनसे मैंने कहा कि कुछ ऐसा करिए कि सच को रास्ता मिले। नीतीश ने नोटबंदी और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के पक्ष पर सवाल उठाए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "हमने नोटबंदी का समर्थन किया, तब हम पर सवाल उठाए गए। हमारे बिहार के राज्यपाल राष्ट्रपति बनने वाले थे, हमने उनका समर्थन किया, तब भी हम पर सवाल उठाए गए। इस तरह काम करना मेरे स्वभाव के विपरीत है। उन्होंने कहा, "नोटबंदी का मसला आया तो हमने नोटबंदी का समर्थन किया। मेरे ऊपर न जाने क्या-क्या आरोप लग रहे थे। हमने नोटबंदी का समर्थन करते हुए यह भी साफ-साफ कहा था कि बेनामी संपत्ति पर भी रोक लगे। हम हमेशा जनपक्षधरता के समर्थन में रहे। उन्होंने कहा, ऐसी बातें उठती रहीं कि गठबंधन बना रहे, विपक्ष की एकता बनी रहे। मैं तो हमेश विपक्ष की एकता के पक्ष में रहा, लेकिन कैसी विपक्षी एकता। विपक्ष का एक एजेंडा होना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी सहित उनके परिवार के कई सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने सात जुलाई को पटना सहित देशभर में 12 स्थानों पर छापेमारी की थी। यह मामला वर्ष 2004 का है, जब लालू प्रसाद देश के रेलमंत्री थे। आरोप है कि उन्होंने रेलवे के दो होटल को एक निजी कंपनी को लीज पर दिलाया और उसके एवज में उन्हें पटना में तीन एकड़ जमीन दी गई। इधर, राजद स्पष्ट कर चुका है कि सभी आरोपों का जवाब सही समय पर और सही जगह पर दिया जाएगा। इसके बाद दोनों दलों में दरार चौड़ी होती गई और अंतत: नीतीश ने इस्तीफा दे दिया।


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