नयी दिल्ली 25 अगस्त(शोभना जैन,वीएनआई) देश के \"एलीट\" कॉलेजो मे से एक, दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने एक इतिहास रच डाला है, इस कॉलेज के माली का बेटा न केवल छात्र यूनियन का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ है बल्कि पहली बार किसी ने इस एलीट कॉलेज मे हिन्दी मे अपना चुनाव प्रचार कर छात्रो को प्रभावित किया और छात्र यूनियन का अध्यक्ष पद हासिल किया. इस नव निर्वाचित अध्यक्ष रोहित कुमार यादव की समाज सेवा के साथ साथ राजनीति मे भी काफी दिलचस्पी है.कोँलेज के प्रिंसिपल वाल्सन थंपू का भी कहना है कि रोहित मे नेतृत्व के गुण है और कोँलेज की समाज सेवा लीग मे भी वह काफी सक्रिय है\' कौन जाने यह विजय रोहित को समाज सेवा व छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति की और ले जाये.
आज यहा वीएनआई के साथ एक विशेष बातचीत मे श्री थंपू ने एक सवाल के जबाव मे कहा \' मै नही कह सकता हु कि रोहित की राजनैतिक योजनाये क्या है, लेकिन पिछले छह- सात वर्षो में इस कॉलेज के सोच ,स्वरूप मे क्रंतिकारी बदलाव आया है ,वहां की पूरी संस्कृति, सोच बदला है , अब वहा सभी वर्गो के बच्चे पढते है. उनका मानना है कि अगर यह क्रांतिकारी बदलाव नही आता तो रोहित जैसे छात्रो का आ्गे आ पाना बहुत मुश्किल हो सकता था. उनका कहना है कि कॉलेज मे सभी को बिना भेद भाव के आगे बढने, अपनी प्रतिभा तराशने का पूरा मौका दिया जाता है और रोहित को भी इस कॉलेज मे अपनी प्रतिभा तराशने के पूरे अवसर मिल रहे है.
21 वर्षीय रोहित इस \"एलीट\" कॉलेज के पहले एसे यूनियन के अध्यक्ष है जो यहा के किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का बेटा है, जिसने हिंदी मे अपना चुनाव प्रचार किया. अभी तक इस कॉलेज मे अंग्रेजी पृषृठ्भूमि वाले श्री शशि थरूर जैसे लोग ही यूनियन के अध्यक्ष रहे. रोहित को छात्र संघ चुनाव मे 824 मे से 377 मत मिले. कॉलेज के एक छात्र के अनुसार \'दरअसल चुनाव प्रचार के लिये हिंदी मीडियम के छात्र रहे रोहित ने \"ओपन कोर्ट \'मे जिस तरह से हिंदी मे अपनी बात और शिद्दत से अपने जज्बात रखे ,उसने कॉलेज के छात्रो के दिलो तक सीधे अपनी बात , उनके लिये् देखे जा रहे सपनो को उन तक पहुंचाया और उसका नतीजा ही चुनाव नतीजो मे देखने को मिला. रोहित वैसे भी कॉलेज के समाज सेवा लीग से जुडे है और खास तौर पर नेत्रहीन छात्रो के कल्याण कार्यक्रमों से जुडे है ओपन कोर्ट मे छात्र संघ के अध्यक्ष पद के सभी प्र्त्याशी कॉलेज छात्रो के सम्मुख अपना एजेंडा रखते है, उनके सवालो के जबाव देते है. रोहित ने इस ओपन कोर्ट मे सभी सवालो के जबाव हिंदी मे दिये. कॉलेज के इतिहास मे यह पहली बार हुआ कि ओपन कोर्ट मे सवालो के जबाव हिंदी मे दिये गये.वर्ष 2012 मे हिंदी मीडियम से इलाहाबाद से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कुशाग्र छात्र होने के साथ इस कॉलेज के कर्मचारी का बेटा होने पर उसे इस एलीट कॉलेज मे दाखिला मिला और रोहित ने इस अवसर का पूरी सकारत्मकता से इस्तेमाल किया. उसके पिता श्री हरीश इस कॉलेज मे पिछले बीस वर्षो से माली का काम कर रहे है, रोहित इस कॉलेज मे बीए का छात्र है कॉलेज के प्रिंसीपल थंपू के अनुसार\' निश्चय ही यह चुनाव नतीजा समाजिक बदलाव का प्रतीक है और बिना शिक्षा के सामजिक बदलाव कि क्रान्ति संभव नही है. यह नतीजा प्रतीक है इस बात का कि हमारे युवाओ का सोच बदल रहा है. यह घट्ना इस धारणा को भी बेबुनियाद साबित करती है कि सेंट स्टीफेंस कॉलेज एक एलीट कॉलेज है और यहा बड़े घरानो के बच्चे ही पढ सकते है. हकीकत यह है कि यह बुद्धीजीवियों का कॉलेज है, श्री थंपू रोहित की इस उपलब्धि से बहुत गौरान्वित है, उनका कहना है कि यह कॉलेज के लिये ऐतिहासिक व गौरव का क्षण है. वे मानते है कि सामाजिक न्याय उच्च शिक्षा से ही मुमकिन है . कॉलेज ही एक छात्र के अनुसार \" रोहित की जीत से यह तो साफ जाहिर है कि हम युवा हिंदी, अग्रेजी के दायरे से उपर उ्ठ कर सिर्फ योग्यता को ही महत्व देते है.