नई दिल्ली, 25 जुलाई (वीएनआई) मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अध्ययन के अनुसार 7 करोड़ मधुमेह मरीजों की आबादी के साथ भारत विश्व के तीन शीर्ष मधुमेह पीड़ित देशों में से एक है। तिल का तेल मधुमेह की रोकथाम में मदद करता है, इसलिए विशेषज्ञों ने तिल के तेल के प्रयोग की सिफारिश की है।
भारत में 2014 और 2015 में 20-70 साल के आयु समूह के बीच मधुमेह के मामले क्रमश: 6.68 करोड़ और 6.91 करोड़ पाए गए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार "देश में तिल के तेल का बाजार बहुत व्यापक है जिसका प्रयोग मधुमेह को मात देने के लिए किया जा सकता है। विश्वभर में हर साल लगभग 30 लाख टन तिल का उत्पादन किया जाता है और भारत में इसका लगभग 30 प्रतिशत उत्पादन होता है। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में तिल की खेती होती है। यहां तीन किस्मों पीली, लाल और काली तिल की खेती की जाती है।"
मधुमेह विशेषज्ञ एवं चिकित्सक डॉ. अमरदीप सचदेव ने कहा, "तिल/तिल के तेल में विटामिन ई और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स, जैसे कि लिगनैंस, प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये सभी तत्व टाइप 2 मधुमेह में फायदेमंद होते हैं। शोध के अनुसार, वे मधुमेह पीड़ित मरीज जो खराब कार्डियोवैस्कुलर सेहत से प्राय: पीड़ित होते हैं, और जिनकी बीमारी फ्री रेडिकल्स से और भी बिगड़ सकती है, उसे हटाने में तिल के ऑक्सीडेंट्स सहायता करते हैं।"
राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवैस्कुलर रोग एवं आघात निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के तहत व्यवहार और जीवनशैली परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। इसके तहत ज्यादा जोखिम से जुड़े लोगों की स्क्रीनिंग कर जांच की जाती है। साथ ही मधुमेह सहित गैर-संचारी रोगों के उपयुक्त प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत तिल के तेल द्वारा प्रदान किए जाने वाले फायदों के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाता है
गौरतलब है कि तिल एक ऐसा पौधा है जो सूखे में भी बच जाता है और बढ़ता रहता है। तिल की यह खासियत इसे 'उत्तरजीवी फसल' बनाती है।
तिल का तेल मधुमेह की रोकथाम करने में भी मदद करता है क्योंकि यह रक्त में ग्लूकोज स्तर, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड स्तर को घटाता है। कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव के कारण यह स्वाभाविक है कि तिल का तेल ऐसे रोगों को रोकता है जो कि मधुमेह पीड़ित मरीजों में आम हैं जैसे कि अथेरोस्क्लेरोसिस और कार्डियोवेस्कुलर रोग।