ब्‍याज दरें यथावत, रिजर्व बैंक ने कहा- पर्याप्‍त नोट उपलब्‍ध, लोग ई-बैंकिंग करें

By Shobhna Jain | Posted on 7th Dec 2016 | देश
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नई दिल्ली 7 दिसंबर (वीएनआई) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ्सभी विश्लेषकों और विशेषज्ञों के अनुमानों को बड़ा झटका देते हुए रेपो रेट समेत प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. ्गौरतलब है कि कि अनुमान लगाए जा रहे थे कि RBI आज रेपो रेट में कटौती कर सकती है. लेकिन बैंक ने इसे 6.25 प्रतिशत पर ्ही बरकरार रखा है, आरबीआई ने कहा कि ‘चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया गया है। यदि बैंक 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करता तो इससे रेपो रेट 6 फीसदी हो जाता जोकि सितंबर 2010 से लेकर अब तक का निम्नतर स्तर है. यदि ब्याज दरों में ्कटौती होती लोन पर भी ब्याज दरें कम होंती जोकि सीधे तौर पर कस्टमर के हित में होता. RBI द्वारा आज रेपो रेट में कटौती की उम्मीदें इसलिए भी बलवती थी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य करार देकर विमुद्रीकरण का गंभीर फैसला लिया था जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था मे आम तौर पर नकारात्मक तौर पर देखा जा रहा है. न सिर्फ उपभोक्ता स्तर पर बल्कि आपूर्ति के स्तर पर भी, नोटबंदी का जबरदस्त असर पड़ा है. रेपो रेट को लेकर विशेषज्ञों के बीच केवल इसी बात को लेकर मतभेद था कि दरों में कितनी कटौती होगी, ज्यादातर विशेषज्ञ कह रहे थे कि आरबीआई 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है जबकि कुछ का कहना था कि कटौती 50 बेसिस पॉइंट तक हो सकती है. रिज़र्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट भी बरकरार रखा है. इसी के साथ खुदरा महंगाई दर 5% रहने के आसार जताए हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस ऐलान के दौरार देश की जीडीपी का अनुमान 7.6 से घटाकर 7.1 कर दिया है. यह भी कहा है कि तीसरी तिमाही में महंगाई घटने के आसार हैं बता दें कि जुलाई और सितंबर के बीच हमारी अर्थव्‍यवस्‍था 7.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है। वैश्विक स्‍तर पर तेज की कीमतें 30 नवंबर के बाद से तेजी से बढ़ी हैं। ओपेक देशों ने ने उत्‍पादन कम करने का ऐलान कर दिया है। इसके घरेलू वृद्धि पर असर को लेकर आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति की समीक्षा के तहत सेंसेक्स आज सुबह शुरूआती कारोबार में 77 अंक चढ़ गया। मौद्रिक नीति की समीक्षा में दरों में कटौती की उम्मीद और स्थिर वैश्विक संकेतों के बीच निवेशकों के बीच लिवाली का दौर चलने से शेयर बाजार में तेजी देखी गई। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया के मजबूत रहने से भी शेयर बाजार को समर्थन मिला। हालांकि जैसे ही रेपो रेट में कोई परिवर्तन न होने का ऐलान हुआ, सेंसेक्‍स में गिरावट देखी गई।
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