नई दिल्ली, 19 फरवरी, (वीएनआई) पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की राज्य के कार्यक्रम में बढ़ रही सक्रियता के बीच आज पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा लेते हुए कहा कि ज्ञान, विचार और स्किल स्थिर नहीं है। वहीं इस कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के साथराज्यपाल जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश निशंक भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे 'विश्व भारती विश्वविद्यालय' नाम दिया क्योंकि गुरुदेव जानते थे कि जो भी यहां शिक्षा ग्रहण करने आएगा, वो इसे केवल एक विवि के रूप में नहीं देखेगा बल्कि वो इसे इंडिया और भारतीयता के दृष्टिकोण से देखेगा। उन्होंने आगे कहा कि गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे, यह संस्कृति की पहचान बने, इसलिए विश्वभारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी, बल्कि खुद से स्वयं को रूबरू कराने का जरिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से आगे कहा कि ज्ञान, विचार और स्किल, स्थिर नहीं है, ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें करेक्शन की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी लेकिन नॉलेज और पावर, दोनों जिम्मेदारी के साथ आते हैं।उन्होंने कहा कि आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई अच्छी शिक्षा हासिल किए हुए, अच्छे स्किल्ड वाले लोग हैं,दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिनरात प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं, ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, बल्कि माइंडसेट का भी विषय है, आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है। साथ ही उन्होंने नई शिक्षा नीति पर बात करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति से छात्रों को सामर्थ्य दिखाने की आजादी, मुझे पूरा भरोसा है ये आपको आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। सच कहूं तो ये नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम है, जो विश्वस्तर पर भारत को पहचान देगा।