यहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,कलेक्टर, मजिस्ट्रेट और जाने कितने ही वीआई हैं तो, लेकिन है वे 'बेरोज़गार'

By Shobhna Jain | Posted on 22nd Apr 2017 | देश
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नई दिल्ली,22 अप्रैल (वीएनआई) चौंकिए मत क्योंकि ये बिल्कुल सच है बस अंतर यही है कि जो आपको इसे पढ़कर लग रहा है वैसा भी नहीं है। दरअसल हम बात कर रहे हैं रामपुर (जयपुर) के बूंदी गांव की, जहां अगर जाये तो आपको राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कलेक्टर, आईजी, एसपी से लेकर तहसीलदार और कोतवाल तक एक ही जगह आसानी से मिल सकते हैं। कुछ और आगे बढ़ेंगे तो हो सकता है कि आपकी मुलाकात सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और मेनका गाँधी से भी हो जाये। लेकिन जरा ठहरिये.. दरअसल इस गांव के लोगों को अपने बच्चों के नाम किसी बड़े पद, बड़ी कंपनी और यहां तक कि अदालतों के नाम पर रखने का एक अजीब सा शौक है। इस गांव में उच्च पदों, कार्यालयों, मोबाइल ब्रांड और एक्सेसरीज़ पर बच्चों का नाम रखना बहुत आम बात है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सैमसंग और एंड्रॉयड के साथ ही आपको सिम कार्ड, चिप, मिस कॉल, जिओनी और राज्यपाल जैसे नाम यहां सुनने को मिल जाएंगे, शायद मन मे एक आस रहती हो कि वीआईपी नाम देने से बच्चा बड़े हो कर वीआईपी बन जायेगा पर विडंबना यह है कि इनमें से ज्यादातर 'वीआईपी' बेरोजगार हैं, इसी गांव में 'हाईकोर्ट' भी है लेकिन यह हाईकोर्ट अनपढ़ है और इसने स्कूल का मुंह तक कभी नहीं देखा। पैरों से दिव्यांग हैं पर इनका गुस्सा बहुत प्रसिद्ध है। हाईकोर्ट का कहना है कि उनके माता पिता को लगता था कि हाईकोर्ट सबसे बड़ा होता है और बस इसीलिए उनका नाम हाईकोर्ट रख दिया गया। इसी तरह एक 50 साल के शख्स का नाम कलेक्टर है लेकिन ये कलेक्टर भी कभी स्कूल गए ही नहीं। वास्तव में कलेक्टर मनरेगा में मजदूरी करने के साथ खेतों में काम करते हैं। उनकी दादी कलेक्टर का रुतबा देखकर दंग रह गयी थीं और इसीलिए उन्होंने अपने पोते का नाम ही कलेक्टर रख दिया। आश्चर्य होगा लेकिन वास्तव में इनमें से कइयों के यही नाम परिवार के राशनकार्ड, आधारकार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे सरकारी दस्तावेजों पर भी दर्ज हैं। दरअसल जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर इस गांव में पिछड़े समुदाय के लोग रहते हैं जिनकी कुल आबादी 500 से थोड़ी ही ज्यादा होगी। इसी समुदाय के लोगों में ज्यादातर ऐसे नामों को रखने का प्रचलन है। इस समुदाय के ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं पर उनमें शिक्षा पाने की लालसा है। उन्हें यकीन है कि गांव का कोई न कोई बच्चा कभी न कभी ऐसे बड़े पदों और नामों में जरूर शुमार होगा और बस इसीलिए इस गांव में ऐसे नामों की परंपरा ही बन गयी। इसी तरह इसी जिले के अरेनिया गांव में के मीणा समुदाय में महिलाओं और लड़कियों के मिठाई, नमकीन, जलेबी और फोटोबाई जैसे अजीब नाम रखे जाते हैं। किसी भी दस्तावेज में पंजीकरण के समय सरकारी कर्मचारी भी ऐसे नाम सुनकर हैरान जाते थे लेकिन अब उन्हें भी इन नामों की आदत हो गई है।

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