मुंबई, 9 मार्च (वीएनआई)| भारत में पारंपरिक अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि नई अर्थव्यवस्था में ढेर सारी नौकरियां पैदा हो रही हैं। एक केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए कैब एग्रीगेटर ओला और उबेर में पिछले साल पैदा हुई लाखों नौकरियों का उदाहरण दिया।
नागरिक विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में 'डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डिमांड : द मिस्ट्री ऑफ मिसिंग जॉब्स' सत्र में यह बातें कही। सिन्हा ने कहा, नौकरी सृजन में जबरदस्त उछाल है, पारंपरिक अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि नई अर्थव्यवस्था में, उद्यमिता में। मंत्री ने कहा, उदाहरण के लिए, ओला और उबेर ने 10 लाख लोगों को ड्राइवरी की नौकरी दी। तो मैं कहता हूं कि रोजगार की कमी नहीं है. बल्कि आंकड़े नहीं हैं। अपने दावे के पक्ष में मंत्री ने विभिन्न अनुमानों का हवाला दिया, जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि संस्था (ईपीएफओ) को आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, "नौकरी की स्थिति उतनी भी बुरी नहीं है, जितना दिख रहा है। ईपीएफओ के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में 1 करोड़ नए खाते खोले गए और इस संस्था के कुल 4.5 करोड़ सदस्य हैं।
पूर्व कॉरपोरेट मामलों के मंत्री कांग्रेस के सचिन पायलट ने बहस में भाग लेते हुए देश में निराशाजनक रोजगार की स्थिति पर प्रकाश डाला। पायलट ने कहा, हमारे देश के युवा बेरोजगार और अर्धबेरोजगार हैं। हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां नौकरियों की तलाश में निकले 40 फीसदी लोग कौशलहीन हैं। पांचवे सालाना रोजगार-बेरोजगार सर्वेक्षण 2015-16 से यह पता चलता है कि शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी के बावजूद 18-29 उम्र समूह में बेरोजगारी दर बढ़ी है। सर्वेक्षण रिपोर्ट युवा रोजगार-बेरोजगार परिदृश्य, वोल्यूम 2 में कहा गया, "अखिल भारतीय स्तर पर 18-19 साल के केवल 18.4 फीसदी युवाओं के पास ग्रेजुएशन या उससे अधिक की डिग्री है। इसी उम्र समूह में अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 13.2 फीसदी है। इस सर्वेक्षण के वोल्यूम 1 में अनुमान लगाया गया है कि अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 5 फीसदी होने का अनुमान है।
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