नई दिल्ली/कोलकाता, 14 जनवरी (वीएनआई) भारत सहित दुनिया के कुछ और देशो आज मकर संक्रांति का त्योहार पारंपरिक हर्ष और उल्लास से मनाया जा रहा है. भारत के अलग-अलग हिस्सों के अलावा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से करीब 20 लाख श्रद्धालु आज मकर संक्राति के मौके पर बंगाल की खाड़ी स्थित गंगा नदी के संगम में पुण्य स्नान के लिए एकत्रित हो चुके हैं. हर साल मकर संक्रांति के मौके पर श्रद्धालु मोक्ष की कामना में सागर-संगम में डुबकी लगाने पहुंचे हैं.इस के अलावा देश भर की नदियो पर भी श्रद्धालुओं ने सुबह से ही ढंड की परवाह नही करते हुए डुबकियॉ लगाई और स्नान के बाद पूजा अर्चना और दान दिया.
आज असम मे बीहू और तमिलनाडु और दक्षिण भारत मे पोंगल का पर्व मनाया जा रहा हैं.हिन्दू मान्यता के मुताबिक साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का सबसे महत्व ज्यादा है. इस दिन सूर्य मकर राशि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का दिन शुरु हो जाता है, जो देवशयनी एकादशी से सुप्त हो जाते हैं. मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में बिहू और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है.भारत के अलावा श्री लंका और थाईलेंड जैसे देशो मेभी यह त्यौहार मनाया जाता है. मकर संक्रांति से पहले शुरू होने वाला गंगासागर का मेला नौ जनवरी से चल रहा है, जो आज खत्म हो जाएगा. मोटे अनुमान के अनुसार अभी तक करीब 20 लाख लोग यहां पर पहुंच चुके हैं.पिछले साल करीब 15 लाख श्रद्धालु गंगासागर आए थे. इस वर्ष यह आंकड़ा काफी ज्यादा है.
इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. यहां पर राज्य सरकार ने करीब तीन हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती की है और रविवार को पुण्य स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर नजर रखने के लिए सात ड्रोन सेवा में लगाए हैं. असल में पहली बार राज्य सरकार ने गंगासागर मेले में निर्बाध संचार सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारियों को सैटेलाइट फोन से लैस किया है. गंगासागर मेला की चर्चा हिन्दू धर्मग्रन्थों में मोक्षधाम के तौर पर की जाती है. यह मेला पश्चिम बंगाल में गंगा के सागर से मिलन के स्थान पर लगता है, इसलिए इस स्थान को गंगासागर कहा जाता है. इस मेले में मकर संक्रांति के मौके पर दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु मोक्ष की कामना में सागर-संगम में डुबकी लगाते हैं. श्रद्धालुओ मे गंगा सागर की बहुत महत्ता है.गंगासागर के बारे में एक कहावत है कि, 'सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार' मतलब साफ है कि गंगासागर की तीर्थयात्रा को सैकड़ों तीर्थयात्राओं के बराबर माना जाता.
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