नई दिली, 24 अप्रैल (वीएनआई) भारत तथा एशिया प्रशांत देशों में एचआईवी, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों के उन्मूलन से जुड़ें संगठनों के प्रतिनिधियों और इन क्षेत्रों में कार्यरत समाज सेवियों ने भारत में इन बीमारियों के उन्मूलन के लियें फिर से ज्यादा ध्यान दियें जानें और इस के लियें अतिरिक्त आर्थिक संसाधन उपलब्ध करायें जानें पर जोर दिया हैं ताकि भारत में सतत विकास लक्ष्य के तहत 2030 तक इन महामारियों का उन्मूलन हो सकें.
हेल्थ एडवोकेसी पर इंडिया वर्किंग ग्रुप आईड्ब्ल्युजी और ग्लोबल फंड अड्वोकेटस-एशिया प्रशांत ने यहा संयुक्त रूप से आयोजित एक प्रेस वार्ता में यह बात कही गयीं. ग्लोबल फंड ए प द्वारा जारी एक बयान के अनुसार वार्ता में भारत में इन बीमारियों की स्थति पर नवीनतम ्स्थति की जानकारी देते हुयें इन बीमारियों से निबटनें में अपनी गतिविधियों/ भूमिका पर प्रकाश डाला.्बयान में कहा गया कि बैठक में स्वास्थय के लियें सकल घरेलू उत्पाद के तहत अधिक आर्थिक संसाधान उपलब्ध करायें जानें पर जोर दिया.आईपीपीएफ की दक्षिंण एशिया क्षेत्र की निदेशक सोनल मेहता ने कहा कि उनके संगठन ने इन बीमारियों से निबटनें के साथ साथ इन क्षेत्रों में काम कर रहें समाज सेवियों को भी जोड़ा हैं ताकि सभी मिल कर इन बीमारियों से निबट सकें.ग्लोबल फंड की क्षेत्रीय समन्वयक रशेल ऑग ्ने भी प्रेस वार्ता में अपनी संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डाला. बयान के अनुसार संस्था अब तक भारत में इन बीमारियों से निबटनें में ढाई अरब डॉलर व्यय कर चुकी हैं, तथा पिछलें वर्ष कोविड से निबटनें में भी उस ने आर्थिक मदद दी. प्रेस वार्ता में इन बीमारियो के उन्मूलन के लियें कार्य रत ब्लेसिना कुमार,दा्क्सा पटेल और अभीना अहेर ने भी अपने अपनें अनुभव साझा कियें.वी एन आई
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