नई दिल्ली, 9 जून, (वीएनआई) हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में जाना था कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के कारण ही दूसरी लहर इतनी घातक हुई थी। वहीं एम्स की स्टडी में भी यह बात सामने आई है कोरोना का डेल्टा वेरिएंट इतना ज्यादा घातक है कि इस पर वैक्सीन का भी प्रभाव अधिक नहीं है।
गौरतलब है दिल्ली में स्थित एम्स और नेशनल सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल के अलग-अलग अध्ययन में ये बात सामने आई है कि भारत में लगाई जा रही कोविशील्ड और कोवैक्सीन की डोज लेने के बाद भी कोरोना का डेल्टा वेरिएंट किसी को भी संक्रमित कर सकता है। हालांकि अभी तक किसी स्टडी की समीक्षा नहीं की गई है। एम्स की स्टडी के अनुसार अल्फा वेरिएंट के मुकाबले डेल्टा वेरिएंट किसी भी व्यक्ति को 40 से 50 फीसदी अधिक संक्रमित कर सकता है, फिर भले ही व्यक्ति ने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी हों। गौरतलब है डेल्टा वेरिएंट के घातक होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर में तीन महीने के अंदर देश में मौत का आंकड़ा साढ़े तीन लाख के करीब पहुंच गया है।