च्वाईस आधारित क्रेडिट सिस्टम के खिलाफ दिल्ली विश्वविधालय में विरोध शुरू

By Shobhna Jain | Posted on 12th Mar 2015 | देश
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नई दिल्ली, 27 फरवरी,(वीएनआई) बीते गुरुवार को दिल्ली विश्वविधालय के छात्र-छात्राओं, कार्यकर्ताओं और शिक्षकों ने आर्ट फैकल्टी मुख्य द्वार पर क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के बैनर तले च्वाइस आधारित क्रेडिट सिस्टम के खिलाफ विरोध मीटिंग की| ज्ञात हो कि च्वाइस आधारित क्रेडिट सिस्टम अगले अकादमिक सत्र से देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू होने वाला है| दिल्ली विश्वविधालय के विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने विरोध मीटिंग में भाग लिया| दिल्ली विश्वविधालय के विभिन्न कॉलेजों के बीच में भारी गैरबराबरी है जिसके कारण ‘च्वाइस’ महज एक शब्द बनकर रहेगा| सभी स्टूडेंट्स उन्ही कुछ कॉलेजों में पढना चाहेंगे जो सर्वश्रेष्ट कॉलेज हैं जिसके कारण फिर से कट-ऑफ़ की व्यवस्था लायी जाएगी| अतः गैरबराबरी व्याप्त विश्वविधालय में ‘च्वाइस’ बहुसंख्यक स्टूडेंट्स के लिए स्वप्न ही रहेगा| जादवपुर विश्वविधालय के ‘होक कोलोरोब’ आन्दोलन के कार्यकर्ताओं ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर इस संघर्ष को अपना समर्थन प्रदान किया! अदिति महाविद्यालय, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, लक्ष्मी बाई कॉलेज के छात्राओं के प्रतिनिधिमंडल ने भी इस कार्यक्रम के दौरान अपनी भागीदारी सुनिश्चित की| स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग के स्टूडेंट्स ने भी भारी संख्या में अपनी भागीदारी निभाई| विदित हो कि एसओएल के छात्र-छात्रा लगातार दिल्ली विश्वविधालय के मोर्निंग कॉलेजों में रेगुलर इवनिंग कक्षाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं| क्रांतिकारी युवा संगठन के शाहनवाज़ जमन, जो कॉरेस्पोंडेंस स्टूडेंट्स के आन्दोलन के संयोजक रहे हैं उन्होंने अपने वक्तव्य के दौरान ये बात कही “ हमने चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के खिलाफ भी संघर्ष किया था| सीबीसीएस न सिर्फ छात्र-विरोधी है बल्कि इससे एसओएल के कोर्सेस डीवैल्यू हो जायेंगे| एसओएल में अभी तक सेमेस्टर सिस्टम नहीं लाया गया है| हम आह्वान करते हैं सभी कॉरेस्पोंडेंस स्टूडेंट्स से सेमेस्टर सिस्टम और सीबीसीएस का विरोध करने के लिए|” रोहित सिंह जो इस आन्दोलन के अगुआ रहे हैं उन्होंने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि “ सुधार इस समय ये होना चाहिए था कि नए कॉलेज/विश्वविधालय बनाये जाए| अभी देश के 82% युवा उच्च शिक्षा से बाहर हैं| सरकार मजदूर-गरीब किसानों के परिवारों से आये हुए युवाओं के बारे में बिलकुल भी चिंतित नहीं दिखती है|

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