नई दिल्ली,9 जनवरी( मदनझा/वीएनआई)महात्मा गांधी से जुड़े भाव स्थलो का इन दिनो दौरा कर रहे अमरीका की 'शांति तीर्थ यात्रियो' का मत है कि सुलभ आंदोलन से महात्मा गांधी, बल्कि शांति की संपूर्ण अवधारणा को भी समझा जासकता है. भारत आए अमेरिका के आठ शिक्षाविदों ने सुलभ परिसर का दौरा कर अभिभूत होते हुए कहा कि सुलभ स्वच्छता आंदोलन के संस्थापकयडॉक्टरपाठक के काम के जरिए ना सिर्फ महात्मा गांधी, बल्कि शांति की अवधारणा को भी समझा जासकता है। दुनिया को उदारीकरण का पाठ पढ़ानेवाले देश अमेरिका के ये शिक्षाविद् महात्मा गांधीके जीवन दर्शन और कार्यों को देखने के लिए भारतकी यात्रा पर हैं। भारत में उनका दिल्ली के अलावागांधी के आश्रम के लिए मशहूर सेवाग्राम, वर्धा, मुंबई के साथ ही गांधी जी से जुड़ी तमाम जगहों परजाने का भी कार्यक्रम हैं। अमेरिका के कार्डिनलस्ट्रिक यूनिवर्सिटी से जुड़े ये शिक्षाविद् सर्वेंटलीडरशिप प्रोग्राम के तहत सुलभ ग्राम पहुंचे तो वहांडॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा किए गए कार्यों कोदेखकर चकित रह गए। सुलभ संस्थापक डॉक्टरबिंदेश्वर पाठक के सुधार और स्वच्छता कार्यक्रमको देखकर इन शिक्षाविदों ने कहा कि डॉक्टरपाठक के काम के जरिए ना सिर्फ महात्मा गांधी, बल्कि शांति की अवधारणा को भी समझा जासकता है।उन्होने कहा इन कार्यक्रमो को देख कर समझ आता है कि नेता जब सेवक के भूमिका निभाता है तो समाज मे बदलाव अवशंभावी है
सुलभ ग्राम में अमेरिकीप्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए सुलभसंस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने गांधी जी केकार्यों और सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि सर्वेंट लीडरशिप कार्यक्रम गांधी जी के सिद्धांतों कोसमझने में ना सिर्फ मददगार होगा, बल्कि उनकीसोच को उनके द्वारा बताए गए कार्यों में लागू करनेमें भी सहायक होगा। डॉक्टर पाठक ने कहा कि सरकार को भी सर्वेंट लीडरशिप यानी नेतृत्व भी सेवक के सिद्धांत के मुताबिक काम करना चाहिए।उन्होंने कहा कि गांधी का सिद्धांत भी यही है। गांधीजी का खानपान, कपड़े पहने का तरीका औरजीवन शैली सब आम लोगों की तरह इसी वजह सेथी। उनका भरोसा आम लोगों की अभिव्यक्ति कीस्वतंत्रता में भी था। डॉक्टर पाठक ने कहा किउन्होंने भी खुद गांधी जी के ही सिद्धांतों पर चलतेहुए उन्हीं की तरह काम किया और अहिंसा केजरिए सामाजिक बदलाव लाने की कोशिश की है।सुलभ के संग्रहालय मध्य काल से लेकरअब तक के विभिन्न मॉडलों के शौचालयों को देखअमेरिकी शिक्षाविदों बहुत प्रभावित हुए संग्रहालय देखने के बाद इन शिक्षाविदों नेसुलभ परिवार की सामूहिक प्रार्थना में भी हिस्सालिया।
ये सभी अमेरिका की कार्डिनल स्ट्रिक यूनिवर्सिटी के 'सर्वेंट लीडरशिप कार्यक्रम' के तहत ये शिक्षाविदभारत आए हैं, उसका मकसद नेतृत्व में यह भाव जगाना है कि नेतृत्व भी सेवक पहले है। इस समूहमें शामिल प्रोफेसर नैन्सी स्टैनफोर्ड ब्लेयर ने इसमौके पर कहा कि डॉक्टर पाठक का काम उनकेउदाहरण योग्य किए गए काम में पूरी तरह रूपायितहोता है।
इस मौके पर सर्व सेवा संघ के सचिवजीवीवीएसडीएस प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने अछूतलोगों के उद्धार के लिए किए जा रहे डॉक्टरबिंदेश्वर पाठक के काम की सराहना की।उन्होंने कहा कि भारत में अछूतों और कमजोर वर्गके लोगों के लिए कई लोग काम कर रहे हैं। लेकिनडॉक्टर बिंदेश्वर पाठक का काम सबसे अलग औरबेहतर है। प्रसाद ने कहा कि डॉक्टर पाठक ने अपनेकाम के जरिए महात्मा गांधी के सपने को सहीमायने में साकार किया है।