नई दिल्ली 16 जून (वीएनआई) कल यानि बुधवार 17 जून से मलमास यानी पुरुषोत्तम मास शुरू होने जा रहा है। मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। इसे अधिमास भी कहा जाता है। इस वर्ष 17 जून से 16 जुलाई तक अधिक मास के योग बन रहे हैं। वर्ष 2015 का यह मलमास कई मामलों में बेहद अहम है, 17 जून से 16 जुलाई तक रहने वाले इस मलमास में विवाह, यज्ञ, देव मूर्ति स्थापना, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, संपत्ति का क्रय-विक्रय, यज्ञोपवीत संस्कार किसी भी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। ज्योतिषियों के अनुसार इस तरह का योग 19 साल बाद आया है। प्रकांड पंडितों के अनुसार, जुलाई से दिसंबर तक पड़ने वाले त्योहार मौजूदा साल की तिथियों के मुकाबले दस से 20 दिन तक की देरी से आएंगे। यह स्थिति अधिक मास के कारण बनेगी|
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को सक्रांति कहते हैं। सौर मास और राशियां 12 होती हैं। जब दो पक्षों में सक्रांति नहीं होती, तब मलमास होता है। यह स्थिति 32 माह और 16 दिन में एक बार यानी तीसरे वर्ष आती है। ज्योतिषाचायों के अनुसार इस माह में पुण्य प्राप्ति के लिए हर रोज भगवत कथा का श्रवण, जप, तप के साथ अन्न, वस्त्र, फल का दान करना चाहिए। पूरे 19 साल बाद आषाढ़ महीने में अधिक मास यानी मलमास पड़ा है. इस मलमास में पांच बुधवार पड़ेगा. इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से हर मुराद पूरी होगी. आषाढ़ मास में मलमास लगने का संयोग दशकों बाद बनता है। इससे पूर्व 1996 में यह संयोग बना था तथा अगली बार यह संयोग 2035 में आएगा।