नई दिल्ली.11 दिसंबर ( ्के सुनील वीएनआई) जिस समाज में कितने ही लोगों की रोजमर्रा जिंदगी में बात बेबात गालियां/ बेहद गंदी गालियां बकने विशेष तौर पर माँ, बहनों की गालियां देने की आदत काफी लोगों को लग चुकी हो, ऐसे समाज के लिये महाराष्ट्र का एक गॉव शायद कुछ सीख दे पायें. मुंबई से लगभग 300 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के सौंदाला नामक एक गांव सभ्य समाज बनाने की दिशा में एक आदर्श गाँव माना जा सकता हैं. गांव के लोगों ने आपस में बातचीत के दौरान गोलियों,अपशब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया है और अपशब्द बोलने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने का भी फैसला किया .इस संकल्प को गत नवंबर को अपनाया और लागू किया गया. गाँव में गाली देने वालों से जुर्माना वसूला गया.गाँव में जगह-जगह बैनर लगवा दिए गए हैं, ताकि लोगों को सौंदाला ग्राम पंचायत द्वारा हाल ही में पास किए गए संकल्पों के बारे में जानकारी मिल सके.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गाँव के सरपंच शरद अरगडे के अनुसार अहिल्यानगर जिले की नेवासा तहसील के सौंदाला गांव की ग्राम सभा ने गालियों विशेष तौर पर महिलाओं की गरिमा और आत्मसम्मान के लिए अभद्र भाषा के इस्तेमाल के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव पेश करने वाले अरगडे ने कहा कि गांव में तर्क-वितर्क या बेबात ही विशेष तौर पर माताओं और बहनों को निशाना बनाकर अपशब्दों का इस्तेमाल आम है। उन्होंने कहा, ‘जो लोग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं वे भूल जाते हैं कि वे माताओं और बहनों के नाम पर जो कहते हैं। वह उनके अपने परिवार की महिला सदस्यों पर भी लागू होता है। हमने अपशब्दों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।’
वैसे यह गॉव सही मायनें में एक आदर्श गाँव माना जा सकता हैं.अरगडे ने कहा कि यह फैसला समाज में महिलाओं की गरिमा और स्वाभिमान का सम्मान करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, 'हम विधवाओं को सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों तथा रीति-रिवाजों में शामिल करते हैं। इसी तरह, हमारे गांव में (पति की मृत्यु के बाद) सिंदूर हटाना, मंगलसूत्र उतारना और चूड़ियां तोड़ना प्रतिबंधित है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार गांव में 1,800 लोग हैं। अरगडे ने बताया कि सौंदाला को 2007 में विवाद-मुक्त गांव होने का राज्यस्तरीय पुरस्कार मिला था। प्रतिष्ठित शनि शिंगणापुर मंदिर नेवासा तालुका में ही स्थित है.
अरगड़े बताते हैं, "इस संकल्प का शीर्षक है, 'यह माताओं और बहनों के सम्मान के लिए है." "जिस महिला की कोख में 9 महीने गुज़ारने के बाद हमने जन्म लिया, वह कितनी पवित्र देह है. हमें उस पवित्र देह का अपमान नहीं करना चाहिए."
"जब हम इसे गाली देते हैं, तो हम अपनी मां-बहन को ही गाली दे रहे होते हैं. ग्राम सभा ने गाली देने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाने का फ़ैसला किया है." गॉव के इस फैसलें को ले कर विशेष तौर पर महिलायें बेहद खुश हैं, उन्होंने कहा कि लोग बेबात ही जिस तरह से मॉ बहिन की गालियॉ आम बातचीत में शामिल करते हैं, उन के लिये खासा तकलीफदेह होता हैं, आपसी झगड़े और बहस में गालियॉ देने की बात तो छोड़ ही दीजियें
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